पर्यावरण बचाओ-उद्योग बचाओ पर पैनल डिसक्शन

पर्यावरण बचाओं उद्योग बचाओं पर बिजनेस स्टैण्डर्ड समाचार पत्र के सहयोग से डउद्योग एक पैनल चर्चा की गई। जिसकी अध्यक्षता चैम्बर अध्यक्ष राजीव तिवारी जी की। पैनल चर्चा में बिजनेस स्टैण्डर्ड की ओर से एमएसएमई डवलपमेन्ट इन्सटिटयूट आगरा के उपनिदेशक इन्द्रजीत यादव, स्पीहा के उपाध्यक्ष श्री राजीव नारायन जी एवं मौडरेट सुभ्यान चक्रवर्ती तथा नेशनल चैम्बर की ओर से अध्यक्ष राजीव तिवारी, पूर्व अध्यक्ष मित्तल, तथा पर्यावरण विशेषज्ञ उमेश चन्द शर्मा ने भाग लिया।
मौडरेट द्वारा पूछे जाने पर अध्यक्ष राजीव तिवारी ने जानकारी दी कि सन 1984 में एमसी मेहता द्वारा एक जन याचिका की सुनवाई के अन्तर्गत मा0 उच्चतम न्यायालय ने 30 दिसम्बर 1996 में जो ओदश दिया वह सभी को मानना चाहिए। उस आदेश में ताज संरक्षित क्षेत्र जिसका दायरा 10,400 वर्ग किमी है के अन्तर्गत प्रदूषण मुक्त किये जाने हेतु कुछ कार्यवाहियां निर्धारित की गई थी जिसमें 292 उद्योगों को यातो प्रदूषणकारी ईधन का प्रयोग बन्द करके प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाना सुनिश्चत किया गया था। या फिर उन्हें आगरा से बाहर स्थापित किये जाने का आदेश दिया गया था। इसके साथ-2 आगरा के सतत विकास हेतु अन्य दिशा निर्देश जारी किये गये थे। जिसमें कुछ कार्य उद्योगों को करने थे और कुछ कार्य सरकार को करने थे। किन्तु यह बड़े ही दुख का विषय है कि उद्योगों ने तो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन किया किन्तु सरकार की ओर से प्रदूषण को नियन्त्रण हेतु की जाने वाली कोई भी कार्यवाही आज तक नहीं पूरी हो सकी है। आगरा में मार्बल पच्चीकारी का कार्य को भी रैड कैटैगिरी मे रख दिया गया है।
एसएसएमई विकास संस्थान आगरा के उप निदेशक इन्द्रजीत यादव ने बताया कि सन 1991 से 94 के मध्य उ0 प्र0 प्रदूष्ण नियन्त्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार आगरा में वायु प्रदूषण में कमी आई क्योंकि प्रदूषणकारी इण्डस्ट्रीज ने या तो प्रदूषण नियन्त्रण उपकरण स्थापित कर लिये या फिर वो आगरा से बाहर स्थापित हो गई। लेकिन इसके बाद आगरा में प्रदूषण में वृद्धि हो गई है। इसका तात्पर्य यह है कि उद्योगों से निकलने वाले धुंआ ही केवल प्रदूषण का कारण नहीं है। बल्कि अन्य प्रक्रियात्मक कारण हो सकते हैं। जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने सन 2016 में जैड स्कीम का उद्घाटन किया जिसके अन्तर्गत अन्तर्गत जीरो डीफेक्ट और जीरो इफैक्ट के आधार पर उत्पादन कीये जाने की मंशा प्रकट की। जिसका तात्पर्य है कि जीरों डिफैक्ट के साथ किया गया उत्पादन ऐसा हो कि जिसका प्रभाव भी जीरों हो। जिसका अन्तर्गत 50 पैरा मीटर का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। वर्तमान में सरकार  सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए मदद हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाऐं बना रही है। ताज महल हमारे देश की पहचान है और हमें उद्योगों के साथ साथ इसे भी सुरक्षित करना होगा।
स्पीहा के उपाध्यक्ष श्री राजीव नारायन जी ने बताया कि उद्योगों के बन्द करने के बाद भी प्रदूषण कम नहीं हुआ है। फिर भी सरकार उद्योगों को प्रदूषण के लिए दोषी ठहरा रही है यह बिल्कुल उचित नहीं है तो अब ताजमहल एवं उद्योगों को भूल कर आगरा सिटी के बारे में सोचना होगा। उद्योगों में प्रदूषण नियन्त्रण संयन्त्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है। उद्योगों को बन्द करना प्रदूषण कम करने का कोई समाधान नहीं है। जो कार्यवाही सरकार को करनी चाहिए थी। वह नहीं की गई है। माननीय उच्चतम के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। आगरा में उद्योगों, होटलों बल्कि प्रत्येक इमारत/भवन में जनरेटर चलाए जाते है। क्योंकि निर्वात विद्युत आपूर्ति की जाती है। नालों में टैपिंग नहीं की जा रही है। इन कार्यों के लिए एक रैगुलेटरी कमैटी का गठन किया जाना चाहिए। जिसमें से कुछ लोग सरकारी कुछ लोग एजेन्सियों से तथा कुछ लोग जन सामान्य से लिए जाऐं और समवद्ध योजनाऐं तैयार की जाए।
पर्यावरण विशेषज्ञ उमेश शर्मा ने बताया कि सन 1996 के आदेश के अनुपालन में जो शब्द मिसिंग कर रहा है। जिसके कारण सही व्यबस्थाऐं नहीं हो पा रही है। 1984 से केस चला और आदेश में यह लिखा गया कि ताज संरक्षित क्षेत्र में कोई नया उद्योग नहीं लगेगा व वर्तमान उद्योगों में क्षमता विस्तार नहीं होगा। लेकिन इस आदेश 17 प्रकार के ऐसे उद्योगों प्रतिबन्धित किया गया था जो अत्यधिक प्रदूषकारी है को प्रतिबन्धित किया गया था।  अभी उद्योगों जो चार प्रकार का श्रेणीकरण किया गया है। वह पूरे देश में उद्योंगों में प्रयुक्त ईधन को  ध्यान में रखकर किया गया। किन्तु  हम तो ताज संरक्षित क्षेत्र में है और इस वर्गीकरण में ईधन के प्रकार का वर्णन नहीं किया गया है जो गलत है। यदि उद्योग के साथ ईधन का वर्णन का कर दिया जाए तो श्रेणीकरण स्वतः सही हो जाएगा। उद्योगों में प्रदूषण मानकों का निर्धारण राज्य सरकार के स्थान पर केन्द्र सरकार द्वारा गबर्न किया जाए क्योंकि विभिन्न राज्य सरकारों के मानक भिन्न भिनन है। विजन डाॅक्यूमेन्ट में रैड कैटैगिरी के उद्योगों को विस्थापित करने की बात कही है और होटल को भी रैड कैटैगिरी में वर्गीकृृत कर दिया गया है। क्या होटल को विस्थापित किया जाना सम्भव हैं?
चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल ने कहा कि आदेश के अनुसार तकनीकी का विकास हमारे द्वारा किया गया और प्रदूषणकारी ईधन को बन्द करके प्राकृतिक गैस का प्रयोग उद्योगों में प्रारम्भ किया गया। 1996 के आदेश में 292 ईकाईयों के नाम से आदेश हुआ है। एक एक ईकाई का नाम दिया हुआ है और ये उद्योग अब सभी आदेश का अनुपालन कर रहे है। सरकार अन्य कारणों से होने वाले प्रदूषण पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। आगरा से 10 हजार ट्रक प्रतिदिन गुजरते है। एक ट्रक में सौ हार्स पाॅबर का इ्रंजन होता है। इनर और आउटर रिंग रेाड का निर्माण अभी तक नहीं किया गया है ताकि ऐसे वाहन आगरा में होकर न गुजरे। ताज हमारी शान है,ं किन्तु उद्योग हमारी जान। उद्योग को खत्म करके ताज महल का क्या होगा। दोनों को बचाने की आवश्यकता है।
पूर्व अध्यक्ष के.के. पालीवाल ने कहा कि यदि बर्द्ध राजन कमेटी  की रिपोर्ट का अध्ययन कर लिया जाए तो उससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि क्या उद्योगों को करना था और क्या सरकार को करना था। सरकार ने सिर्फ दो कार्य अर्थात रेलवे का लोको सेट और दो थर्मो पाॅबर स्टेशन हटाने के अलावा आज तक कोई भी प्रदूषण नियन्त्रण का कार्य नहीं किया है। वायु प्रदूषण उद्योगों से नहीं वाहनों से है। हमने पूर्व जिलाधिकारी महोदय से यह कहा था कि आप एक महीन े के लिए सारे उद्योगों की चाबी अपने पास रखें और तब जांच करें कि उद्योगों से कितना प्रदूषण होता है। जनसंख्या वृद्धि के साथ सुविधाऐं नहीं बढ़ाई गई हैं। विजन डाॅक्यूमेन्ट को स्कूल आॅफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर नई दिल्ली के द्वार तैयार किया गया हैं। जो प्रदूषण से संबन्धित नहीं है।
पूर्व अध्यक्ष श्री शान्ति स्वरूप गोयल ने बताया कि विजन डाॅक्यूमेन्ट खाने वाले तेल को भी प्रैट्रोलियम तेल के साथ जोड़ दिया हैं। विजन डाॅक्यूमेन्ट तैयार करने वालों को प्रोसेस का ज्ञान नहीं है। उन्होंने हमारे साथ मजाक किया है। आप अपने पेपर के माध्यम से हमारी इस बात को अवश्य पहुंचायें।
चर्चा में कोषाध्यक्ष सुनील सिंघल, पूर्व अध्यक्ष विनोद गुप्ता, विश्नू भगवान अग्रवाल, मीडिया प्रभारी अनूप जिन्दल, राकेश सिंघल, राजेन्द्र गर्ग, वीरेन्द्र गुप्ता, सुरेश चन्द बंसल, अंशुल कौशल, एमएम अग्रवाल, किरन धवन आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।