- संवेददनशीलता है मूलमंत्र – हमे बचाना है व सावधान रहना है।
- टेफिक पुलिसकर्मियों की संख्या 75000 व वाहनों की संख्या 37 करोड।
- इलैक्ट्रोनिक मॉनिटरिंग के अन्तर्गत तकनीकी व्यवस्था के माध्यम से कम होगी
- हिट एंड रन के आंकडे आ रहे हैं 67000 प्रतिवर्श।
- दुर्घटना होने पर त्वरित मुआवजा दिलाने की चैम्बर ने की मांग।
- सर्वे के अनुसार सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत में यू0पी0 सबसे ऊपर।
- यातायात नियमों का पालन न करने के कारण होते हैं अधिक एक्सिडेंट।
- टोल/कन्ट्रोलरूम मंे अधिक स्पीड आने पर भारतीय राश्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण द्वारा किया जाता है चालान।
- दोपहिया वाहन दुर्घटना होने पर हेलमेट उतारे हॉस्पीटल में।
- बढ़ रही है हादसों की संख्या।
- आंकडों के अनुसार 40 हजार करोड के किये गये चालान और वसूले गये 16 हजार करोड।
- यातायात नियमों का पालन करने के लिये चलाये जाये समय-समय पर जागरूकता अभियान।
आज चैम्बर सभागार में चैम्बर अध्यक्ष संजय गोयल की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा विषय पर अधिवक्ता श्री के.सी. जैन जी द्वारा सड़क सुरक्षा व नागरिक कर्तव्यों के बारे में एवं न्यूरो सर्जन श्री उद्भव बंसल द्वारा Golden Hours और चिकित्सा से जुडे विषय पर सदस्यों का ज्ञानवर्धन किया गया। बैठक का संचालन पूर्व अध्यक्ष एवं जनसम्पर्क समन्वय प्रकोश्ठ के चेयरमैन मनीश अग्रवाल द्वारा किया गया। अधिवक्ता के.सी. जैन द्वारा बताया गया कि प्रतिवर्श लगभग 4.50 लाख दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें से 45 प्रतिषत घायल होते हैं जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रोड सेफ्टी कमेटी और केन्द्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देषित किया गया परन्तु 2023 व 2024 की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी। अधिवक्ता श्री के.सी. जैन द्वारा बताया गया इलैक्ट्रोनिक मॉनिटरिंग सिस्टम के अन्तर्गत संज्ञान में आया कि 75000 टेªफिक पुलिसकर्मी है और वाहनों की संख्या 37 करोड है। अपर्याप्त टेªफिक पुलिसकर्मी होने के कारण दुर्घटनाओं को रोकने के लिये तकनीकी सपोर्ट की आवष्यकता है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इलैक्ट्रोनिक मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने के लिये राज्य सरकार व भारतीय राश्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देषित किया गया। जिसमें राज्य सरकार व भारतीय राश्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा तकनीकी व्यवस्थाओं के माध्यम से होने वाली दुर्घटनाओ को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
अधिवक्ता केसी जैन द्वारा बताया गया कि हिट एंड रन के आंकडे प्रतिवर्श 67000 आ रहे हैं। जिसमें मुआवजा 1 प्रतिषत व 2 प्रतिषत लोगों को मिल पाता है। माननीय उच्चतम न्यायालय में हिट एंड रन याचिका दायर करने पर ज्ञात हुआ कि 01.04.2022 लगभग 2 लाख लोगो को ही मुआवजा मिल सका है। घायल होने पर 50000 मुआवजा व मौत होने पर 1.30 लाख मुआवजा समय सीमा 7 दिन में दिया जाता है। दुघटना होने पर तत्काल मुआवजा देने हेतु माननीय उच्चतम न्यायायल द्वारा राज्य दुर्घटना कमेटी बनायी गयी किंतु अभी तक कमेटी द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है। कैषलेस ट्रीटमेन्ट गोल्डन आवर के अन्तर्गत आता है। कैमरे के सामने वाहनों के आने पर उनका पूरा डाटा उपलब्ध नहीं होता है जिसमें पुराने वाहनों का मोबाइल नंबर तक उपलब्ध नहीं होता है। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेषानुसार पुराने वाहनांे का डाटा संग्रहित करने के लिये राज्य सरकार को कहा गया है। आमतौर पर वाहनों के चालान होने पर वाहन चालक द्वारा चालान नहीं जमा कराया जाता है और वाहन चालक द्वारा यातायात नियमांे का पालन करने के कारण दुर्घटना का षिकार हो जाता है। बैठक में श्री केसी जैन द्वारा बताया गया कि यूपी में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत में सबसे ऊपर है। दुघर्टनाओं की वार्शिक रिपोर्ट भारतीय राश्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण बनती है किन्तु 2022 से कोई दुघर्टना का डाटा प्रकाषित नहीं किया गया है। सराकार द्वारा राज्य सुरक्षा समिति का गठन कर दिया गया है। किन्तु अभी तक अपलोड नहीं की गयी है। पैदल व दिव्यांगों के बनाये गये फुटपाथ पर अतिक्रमण किया हुआ है। बैठक में बताया गया कि घायलों की संख्या 4.5 लाख है। हादसों की संख्या में बहुत तेजी से संख्या बढ़ रही है। आंकडों के अनुसार 40 हजार करोड के चालन किये गये हैं और 16 हजार करोड के चालान वसूले गये हैं।
न्यूरो सर्जन डा0 उद्धव बंसल द्वारा बताया गया दोपहिया वाहन चालक को हमेषा हेलमेट पहनकर निकलना चाहिये और दुर्घटना होने पर हेलमेट नहीं उतारना चाहिये केवल षीषी उपर करना चाहिये और हॉस्पीटल पहुँचने पर हेलमेट उतारा जाना चाहिये। मस्तिश्क की चोट लगने पर कई बार कौमा में चले जाते हैं जिसमें परिवारीजनों निराष हो जाते हैं ऐसी परिस्थिति में परिवारीजनों को निराष नहीं होना चाहिये क्योंकि मरीज की देखभाल सही तरीके से होने पर 2 से 6 माह के अन्दर पूर्णतः ठीक भी हो सकते हैं। दुघटना पीडित को सबसे पहले नाक और मुँह देखना चाहिये कि वहां से खून तो नही आ रहा है यदि वह ठीक है तो उसकी सांस से छाती से ऊपर व नीचे होने की स्थिति को देखना चाहिये इसके उपरान्त उसको ए साइट टर्न करने समतल जमीन पर लिटाना चाहिये। एम्बुलेंस को फोन करके बुलाने पर कम से कम 3-4 लोगों द्वारा उसकी गर्दन, पीठ व पैर को पकडते हुए स्टेªचर पर लिटाना चाहिये। सीटबेल्ट का उपयोग कार में ड्राईवर के बगल में बैठा व्यक्ति व पीछे बैठे व्यक्तियों को भी करना चाहिये। कई बार देखा गया है कि ड्राईवर के बगल में बैठा व्यक्ति सीट बैल्ट बांधे होने कारण बच जाते है और बैक सीट पर बैठे व्यक्ति एक दम झटके से षीषे से बाहर होकर दुर्घटना का षिकार हो जाते हैं।
चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष मनीश अग्रवाल द्वारा पूछा गया कि चालान होने पर वाहन स्वामी जिम्मेदार है या ड्राईवर। उक्त जिज्ञासा के सम्बन्ध में बाताया गया कि इसके लिये ड्राइवर जिम्मेदार है।
बैठक में चैम्बर अध्यक्ष संजय गोयल, उपाध्यक्ष विवेक जैन, बैठक का संचालन पूर्व अध्यक्ष मनीश अग्रवाल द्वारा व धन्यवाद ज्ञापन राजकुमार भगत द्वारा किया गया, बैठक में सूरज तिवारी, रंजीत सामा, विकास मित्तल, अनिल कुमार गर्ग, मनोज कुमार गुप्ता, प्रषांत षर्मा, राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, महेष अग्रवाल, गिरीष चंद गोयल, निमई मित्तल, दिनेष अग्रवाल, गिरीष चद गोयल, सतीष अग्रवाल, विनोद कुमार गोयल, लकी जैन, राजेष वर्मा, रविषंकर अग्रवाल, अभिशेक गोयल, विषाल धमाणी, पंकज गोयल, आषीश जैन आदि उपस्थित थे।