दिनांक 10-7-2018 को आगरा आगमन पर उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम, नियोजन एवं समन्वय मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी से चैम्बर को प्रतिनिधिमण्डल द्वारा सर्किट हाउस में एक बैठक की गयी। प्रदेश सरकार द्वारा मजूदरी संदाय अधिनियम 1936 की धारा 6 में व न्यूनतम मजदूरी (उ0प्र0 संशोधन) अधिनियम 2017 की धारा 11(1) में संशोधन किया गया है। जिसके द्वारा अब नियोक्ता मजदूरी का भुगतान बैंक चैक या एनईएफटी या ईसीएसएस के माध्यम से कर्मचारियों के बैंक खातों में ही करेगा।
श्रमिकों को भुगतान करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नवीन/आदेश की अव्यवहारिकताओं के समबन्ध में चैम्बर के प्रतिनिधिमंडल द्वारा ध्यान आकर्षित किया गया कि बहुत बड़ी संख्या में कर्मचारियों द्वारा बैंकों में खाते नहीं खुलवाये गये है, अधिकांशतः श्रमिक अनपढ़ है और केवल नकद भुगतान पर ही कार्य करना चाहते है। कुछ कर्मचारी तोे बिना अग्रिम भुगतान के कार्य करने को तैयार नहीं होते है। इस आदेश से छोटे व कुटीर उद्योगों का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है। नियोक्ता एवं कर्मचारी के मध्य खाई चैड़ी होती जा रही है क्योंकि अधिकांश कर्मचारी बैंक में चैक द्वारा भुगतान किये जाने से असंतुष्ट है। इस आदेश से इन्सपैक्टर राज व भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। अतः कोई बीच का हल निकाला जाये। मंत्री महोदय ने प्रतिनिधि मंडल को बड़े ही गम्भीरतापूर्वक सुना और आदेश की अव्यवहारिकताओं को समझकर आश्वासन दिया कि वे लखनऊ पहुंच कर कोई बीच का हल निकालेंगे। यह भी आश्वासन दिया क इस सरकार में किसी का उत्पीड़न नहीं होगा।
प्रतिनिधिमंडल में चैम्बर अध्यक्ष राजीव तिवारी, श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल, कोषाध्यक्ष सुनील सिंघल, पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल, मनीष अग्रवाल एवं केसी अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
नोटः- मजदूरी संदाय (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम 2017 के द्वारा मजदूरी संदाय अधिनियम 1936 की धारा 6 में संशोधन किया गया है। जो निम्न प्रकार हैः-
‘‘6-औद्योगिक या किसी अन्य अधिश्ठान का प्रत्येक नियोक्ता, अपने कर्मचारियों को मजदूरी का भुगतान बैंक चेक या नेशनल इलैक्ट्रोनिक फण्ड ट्रांसफर या इलेक्ट्रानिक क्लीयरिंग सर्विस सिस्टम के माध्यम से उनक बैंक खातों में करेगा। परन्तु यदि किसी नियोजित व्यक्ति का कार्य अस्थायी/आकस्मिक/नियत कालिक प्रकृति का हो और वह अपने स्वप्रमाणित आधार कार्ड की प्रतिलिपि प्रस्तुत करता है तो संबधित नियोक्ता तीन माह की अवधि के दौरान अनधिक पांच हजार रूपये की देय मजदूरी का नकद भुगतान संबधित कर्मचारी को कर सकता है।
इसी प्रकार न्यूनतम मजदूरी (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम 2017 के अनुसार धारा 11 (1) निम्नानुसार संशोधन किया गया हैः-
‘‘औद्योगिक या अन्य अधिश्ठान का प्रत्येक नियोक्ता/स्वामी अपने कर्मचारी का मजदूरी का संदाय चैक या एनईएफटी, ईसीएस या अन्य बैंककारी समाधानों के माध्यम से करेगा।
परन्तु यदि नियोजित व्यक्ति का कार्य, अस्थायी/आकस्मिक या नियत अवधि का है तो उसके द्वारा लिखित सहमति और स्व प्रमाणित आधार कार्ड की प्रतिलिपि प्रस्तुत किये जाने पर उक्त नियोक्ता तीन माह में एक बार अनधिक पांच हजार रूपये की मजदूरी का नकद भुगतान करेगा।’’
चैम्बर द्वारा अपने प्रत्यावेदन में माननीय मंत्री महोदय का ध्यान निम्नलिखित व्यवहारिक कठिनाईयों की ओर आकर्षित किया गयाः-
उपरोक्त संशोधन से नियोक्ता एवं नियमित कर्मचारी दोनो में ही रोष व्याप्त है क्योंकि यह अव्यवहारिक है। छोटे व कुटीर उद्योगों में अधिकांशतः श्रमिक अशिक्षित हैं एवं बैकों में उनके द्वारा अपने खाते नहीं खुलवाये गए है।
छोटे व कुटीर उद्योगों में लगे श्रमिक नकद अग्रिम भुगतान पर कार्य करते है और अग्रिम भुगतान का सामानजस्य कई आगामी माहों तक करवातें है।
उपरोक्त आश्रय का बदलाव उत्तर प्रदेष राज्य या एक-दो राज्यों को छोड़कर अन्य किसी राज्य में लागू नहीं है जिसके कारण श्रमिक उपलब्धता प्रभावित होगी।
छोटे व कुटीर उद्योगों में दैनिक मजदूरी पर भारी संख्या में श्रमिक कार्य करते है। उन्हें दैनिक भुगतान करना होता है जिससे वे अपनी दिन प्रतिदिन की आवष्यकता की पूर्ति करते है। चैक से भुगतान करने पर दैनिक मजदूर कार्य करने के लिए तैयार नहीं हैं जिससे छोटे व कुटीर उद्योगों का कार्य बुरी तरह प्रभावित होगा।
नियोक्ता पर जुर्माने व 6 माह की सजा का प्रावधान है इससे उद्यमियों में भारी रोश व भय व्याप्त है क्योंकि इससे इन्सपेक्टर राज व भ्रश्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
नियोक्ता अपने श्रमकों/कर्मचारियों को भुगतान चैक द्वारा ही देना चाहता है किन्तु अधिकांश श्रमिक नकद भुगतान ही लेना चाहते हैं और बिना नकद भुगतान के वे कार्य करने को तैयार नहीं है।
बड़ी संख्या में मजदूरों ने अभी तक बैंकों में खाते नहीं खुलबाये है और न ही वे खाते खुलवाने को तैयार है। कुछ मजदूरों ने तो अपने आधार कार्ड तक नहीं बनवायें है।
बैंकों में अनेकों बार सरवर डाउन रहता है। नियोक्ता व कर्मचारी का खाता अलग-अलग बैंकों में होने पर एनईएफटी/आरटीजीएस से फन्ड ट्रांसफर में अधिक समय लग जाता है। यही नहीं कई बार एटीएम को ठीक प्रकार से संचालित नहंी किया जाता है तो आहरण के दुरूपयोग की संभावना होती है। सामान्यतः श्रमिक अशिक्षित होते है अतः श्रमिकों द्वारा एटीएम से आहरण करने पर उसके दुरूपयोग होने की संभावना और बढ़ जाती है।