- बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर जागरूकता कार्यक्रम।
- बौद्धिक सम्पदा में पेटेंट, डिज़ाइन, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेत आदि आते हैं।
- बौद्धिक संपदा अधिकार मानव मस्तिष्क के विचारों से उत्पन्न एक उपज है।
- बौद्धिक सम्पदा किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति के पास होती है।
- कानून के तहत पंजीकरण करा कर इस उपज को सुरक्षित किया जाता है और इसका आर्थिक लाभ ले सकते हैं।
- पेटेंट नवीन आविष्कार होता है – भारत में 10 वर्ष के लिए पंजीकरण होता है।
- ट्रेडमार्क गुणवत्ता, कुशलता, आदि को प्रदर्शित करता है। ट्रेडमार्क अपने प्रतिस्पर्धियों से अपनी अलग पहचान है।
- कॉपीराइट “लेखक की मूल कृतियों” जैसे लेखन, कला, वास्तुकला और संगीत की रक्षा करते हैं।
- बौद्धिक सम्पदा के तहत पेटेंट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन कॉपीराइट के पंजीकरण हेतु समयबद्ध योजना बने – चैम्बर लिखेगा भारत सरकार को।
दिनांक 12 जुलाई 2024 को शाम 5:00 बजे न्यू मार्केट जीवनी मंडी स्थित नेशनल चैंबर भवन में बौद्धिक संपदा पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता किया गया। कार्यक्रम का संचालन एमएसएमई इकाइयां विकास प्रकोष्ठ के चेयरमैन संजय गोयल द्वारा किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम में एमएसएमई डीएफओ आगरा के सहायक निदेशक ( ग्रेड १ ) नेपाल सिंह द्वारा बौद्धिक संपदा के प्रकार उनके पंजीकरण के लाभ आदि पर विस्तृत जानकारी दी गई। इस जागरूकता कार्यक्रम में एमएसएमईडीएफ आगरा से अभिषेक, सहायक निदेशक तथा सहायक निदेशक जितेंद्र भी उपस्थित थे।
बौद्धिक संपदा अधिकार के अंतर्गत पेटेंट डिजाइन ट्रेडमार्क भौगोलिक सांकेतिक कॉपीराइट आदि पर जानकारी प्रदान की गयी। बौद्धिक संपदा किसी व्यक्ति की स्वयं की उपज होती है। यह एक प्रकार से आविष्कार होता है जिसका आर्थिक लाभ उसे आविष्कार करता या बनाने वाले को प्राप्त होता है। बौद्धिक संपदा किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति के पास होती है। इसका लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराना होता है ताकि अन्य इसका प्रयोग न कर सके। पेटेंट एक नवीन आविष्कार होता है इसकी अंतर्गत यूटिलिटी पेटेंट, डिजाइन पेटेंट, प्रोविजनल पेटेंट, प्लांट पेटेंट आदि आते हैं। डिजाइन पेटेंट में किसी उत्पाद की डिजाइन विशेष होती है जैसे कोकोकोला की बोतल की एक विशेष आकृति, गाड़ियों की विशेष आकृति। पेटेंट करने के लिए बिजनेस डिजाइन, एंटरप्राइज डिजाइन और प्रोडक्ट डिजाइन आदि की जाती है। पेटेंट भारत में 10 वर्ष के लिए पंजीकृत किया जाता है। ट्रेडमार्क किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के विचारों की एक उपज होती है। ट्रेडमार्क में किसी प्रोडक्ट की क्वालिटी, कुशलता आदि प्रदर्शित होती है। इसमें कोई व्यक्ति अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान बनाता है जिससे उसके उत्पाद की गुणवत्ता उसके प्रतिस्पर्धियों से बिल्कुल अलग होती है। इसका पंजीकरण राष्ट्रीय लेवल पर होती है, क्षेत्रीय स्तर पर होती है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका पंजीकरण कराया जा सकता है। शुरुआत में इसे 10 वर्ष के लिए पंजीकृत कराया जाता है और आगे चलकर 10-10 वर्ष करके इसको आगे बढ़ाया जा सकता है। कॉपीराइट जो एक ऐसी बौद्धिक सम्पदा जिसमें अपने विचारों को तेनज़िबिल रूप में अर्थात उसे देखा, सुना, अनुभव किय जा सकता है, जैसे किताब, लेखन, गाना आदि। कॉपीराइट का अधिकार उसे जीवन भर प्लस जीवन 60 वर्ष बाद तक मिलता है। भौगोलिक संकेत के अंतर्गत उत्पाद को उस क्षेत्र के नाम पर उत्पाद का नाम होता है जैसे बासमती चावल, बनारसी साड़ी, आगरा शू। भौगोलिक संकेत की सम्पदा में पंजीकृत किया जाता है। भौगोलिक संकेत के कारण उसे प्रोडक्ट में उस क्षेत्र के विशेष गुण आ जाते हैं। और उस क्षेत्र की तकनीक को दूसरी एरिया में तो प्रयोग कर सकते हैं लेकिन उसे उत्पादन का नाम दूसरी एरिया के ऊपर ही रखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर बनारसी साड़ी का नाम दूसरी एरिया में उत्पादन करने पर बनारसी साड़ी नहीं रखा जाएगा। 1995 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) बना जिसमें बौद्धिक संपदा अधिकारों का व्यापार संबंधी पहलू पर एक समझौता हुआ जिसे WTO क़ि सभी सदस्यों (देशों) को इसे मानना है। भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए आठ अधिनियम हैं। The Biological Diversity Act, 2002, The Copyright Act, 1957 (कॉपीराइट), The Design Act, The Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999, The Patents Act, The Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act, 2001,The semiconductor Integrated circuits Layout design Act, The Trade Marks Act, 1999.
ट्रेडमार्क में पंजीकरण का समय 6 माह है। पेटेंट में 2 वर्ष है। चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने कहा कि कोई समयबद्ध कानून बनना चाहिए। इस हेतु चेंबर भारत सरकार को सरकार को प्रतिवेदन प्रेषित करेगा।
कार्यक्रम में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्मा प्रसाद गर्ग, कोषाध्यक्ष नितेश अग्रवाल एमएसएमई इकाइयां प्रकोष्ठ के चेयरमैन संजय गोयल पूर्व अध्यक्ष राजीव अग्रवाल सदस्यों में मोहित महाजन,रंजीत सामा, चंद्र, रचित अग्रवाल, विभव अग्रवाल, विभोर अग्रवाल,सौरभ अग्रवाल, हर्षित अग्रवाल, मनोज गोयल, बाबूराम , अमित झामनानी, नितिन झामनानी, अतुल कुमार गर्ग, संजय, सुशील बंसल, गोपाल खंडेलवाल, योगेश जिंदल चंदू दौलतानी, अनिल अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, आदि मुख्या रूप से उपस्थित थे।