PRESS CONFERENCE

  • उद्यमियों में चिंता – जांच के नाम पर मसाला उद्योग को बनाया जा रहा निशाना।
  • वर्षों में बनाई गई ख्याति जांच के नाम पर की जा रही ध्वस्त।
  • मसालों में कीटनाशक की जांच की गई प्रथम बार।
  • कीटनाशक का संबंध मसाला उद्योग से दूर-दूर तक नहीं।
  • किसानों द्वारा फसल में इस्तेमाल किये जाते हैं पेस्टीसाइड व कैमीकल।
  • जांच के मानक दशकों पुराने  – जब खेती में नहीं होते थे पेस्टीसाइड इस्तेमाल।
  • कुटीर उद्योग को बचाने हेतु सरकार नियमों में हो सरलीकरण।
  • मसाले के हर लौट को जांच कराकर बेचना पूरी तरह अव्यवहारिक।
  • अनेकों मसालों में स्तेमाल होती हैं 40 – 50 वस्तुऐं, हर वस्तु के 265 जांचों का साधन सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के पास नहीं।  
  • इस विषय को चैम्बर उठाएगा राज्य व केंद्र सरकार के समक्ष। 
  • चैम्बर शीघ्र करेगा  भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के साथ बैठक। 
  • साबुत मसालों के सैंपल पैदावारी के स्थान पर ही लिए जाएँ। 
दिनांक 27 जून, 2024 को दोपहर 12.30 बजे एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता द्वारा की गई।
अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा उद्योगों के लिए नियम बहुत ही कड़े व अव्यवहारिक बनाये गए  है। मानकों को पूरा करना कठिन ही नहीं बल्कि व्यवहारिक भी नहीं है। इस सम्बन्ध में चैम्बर द्वारा राज्य सरकार व प्रदेश  सरकार को निवेदन किया जा रहा है कि उद्योगों विषेश रूप से लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नियमों में सरलीकरण किया जाये जिससे भ्रश्टाचार पर अंकुश लगे। एक उद्यमी को 25 विभागों से जूझना पड़ता है। नियम अव्यवहारिक होने के कारण उनका शोषण होता है। जिससे लघु और सूक्ष्म उद्योग चलाने में अत्यन्त कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में मसाला उद्योग को जांच के नाम पर निशाना बनाया गया है। इसमें दशकों पूर्व से बड़ी कठिनाइयों को झेलते हुए विष्वसनीयता अर्जित करने के बाद ख्याति प्राप्त ब्रांडेड मसाला उद्योग को जांच के नाम पर उनकी विष्वसनीयता ध्वस्त की जा रही  है। इससे मसाला एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ें उद्यमियों में रोश व्याप्त है।
आज प्रेस वार्ता में चौबे जी, शिल्पा, दया, अंधा पंसारी, कविता ड्राई फ्रूट, प्राचीन पेठा आदि ख्याति प्राप्त खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुडें उद्यमी मौजूद थे। उनके द्वारा पीड़ा व्यक्त की गई कि मसालों में कीटनाषक दवाओं की जांच प्रथम बार की गई है जबकि मसाला उद्योग से कीट नाशक  दवा का दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। कीट नाशक एवं रसायन किसानों द्वारा फसल में उनकी वृद्धि एवं रोगों से बचाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, मसाले में नहीं। सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि मंडी में किसान की फसल विक्रय से पूर्व कीटनाशक व रसायन की जांच हो। मसाला उद्यमी इसमें निर्दोश  फंसाये जा रहे हैं। जांच के मानक दशकों पूर्व उस समय के हैं जब फसल उगाने में कीटनाशक व रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता जो वर्तमान में अव्यवहारिक हो गये हैं। अतः मानकों को वर्तमान समय के अनुसार व्यवहारिक बनाया जाये। सरकार हानिकारक कीटनाशकों पर फसल में इस्तेमाल करने पर रोक लगाये। मसाला उद्यमियों को हर बार जांच कराकर मसाला बेचना पूरी तरह से अव्यवहारिक है। क्योंकि जांच की रिपोर्ट एक से डेढ दो महीने तक प्राप्त होती है। जब तक व्यापार को कैसे रोका जा सकता है। कई मसालों में 40 से 50 वस्तुऐं स्तेमाल होती हैं।  हर वस्तु की 265 जांच करने के लिए सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के पास साधन असंभव ही नहीं बल्कि पूरी तरह से अव्यवहारिक है।  अवगत कराया गया कि एक सैंपल में 265 जांच की गई हैं। जिनमें से 264 जांच सही पाई गई हैं और केवल एक जांच में जो 0.1 प्रतिशत के स्थान पर 0.107 प्रतिशत है। इस मामूली अंतर के कारण किसी के विश्वसनीय ब्रांड को बदनाम किया जाना कहां तक तर्कसंगत है। हमारी व्यथा वास्तविक है इसमें किसी प्रकार के कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता है। सैंपल की जांच में आ रहा है तो इसका जिम्मेदार कौन।
चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने कहा कि शीघ्र ही खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ चैम्बर की एक बैठक की जाएगी और समस्त विसंगतियों से विभाग, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार को अवगत कराया जायेगा। ताकि नियमों को व्यवहारिक बनाया जाये और उद्यमियों का शोषण न हो।

प्रेस वार्ता में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग, कोषाध्यक्ष नितेश अग्रवाल, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के को-चेयरमैन राजेश अग्रवाल, सदस्य योगेश जिंदल, विकास चतुर्वेदी, गोपाल दास सिंघल,, अनुराग अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, सिद्धार्थ मित्तल, अनिल अग्रवाल, विवेक जैन, अशोक लालवानी, मनीष बंसल, जतिन अग्रवाल, योगेश दीक्षित, सालू आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।