MEETING OF RAINWATER HARVESTING & TREE PLANTATION

  • आगरा के जंगलों में विलायती बबूल  के स्थान पर लगाये जायें देसी फलदार वृक्ष।
  • भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि हेतु जल रिसाव जरुरी – यमुना नदी में कराई जाए डिसिल्टिंग।
  • चैम्बर बुके के स्थान पर इनडोर प्लांट भेंट करेगा अतिथियों के सम्मान में।
  • सिकंदरा रजवाह के अन्त पर बने जलाशय ।

दिनांक 8 जून, 2023 को चैम्बर भवन में सायं 4.30 बजे चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं वृक्षारोपण प्रकोष्ठ की एक बैठक आयोजित की गई।
 
प्रकोष्ठ चेयरमैन गोपाल खंडेलवाल जी द्वारा बताया गया कि आगरा के समस्त जंगलों में विलायती बबूल उगे हुए हैं जिनसे जगली पशुओं एवं अन्य जानवरों को संरक्षण नहीं होता है।  अतः विलायती बाबुल के स्थान पर दूसरे देसी या फलदार वृक्ष लगाए जाये।  इस हेतु जंगलों की मृदा जांच वैज्ञानिक तरीके से कराई जाये। यह रिपोर्ट तैयार कराई  जाये कि कौन से पीएच वैल्यू के साथ कौन-कौन से वृक्ष लगाये जा सकते हैं।
 
चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि चैम्बर को जिला पर्यावरण समिति में नामित किया गया है। जंगलों की मृदा जाँच के  विषय को उनके द्वारा जिला पर्यावरण समिति की बैठक में भी उठाया जायेगा। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग से भी यह जानकारी ली जाएगी कि आगरा के जंगलों में किस प्रकार के वृक्ष हों और इन जंगलों में पेड़ लगाने के सम्बन्ध में क्या संभावनाएं हैं।
अधिवक्ता के. सी. जैन द्वारा भूगर्भ जलस्तर के सम्बन्ध में बताया गया कि यमुना नदी सबसे बड़ी वाटर रिचार्ज बाडी है। इसमें जमा कीचड़ की सफाई से लगातार जलभराव हो सकता है। यमुना नदी में रबड़ चैक डेम बनने का लाभ भी तभी प्राप्त होगा जब यमुना नदी की डिसिल्टिंग की जाये। भूगर्भ के लिए बिना डिसिल्टिंग के जल का रिसाव नहीं होगा।
राजीव सक्सेना द्वारा बताया गया कि सिकन्दरा रजवाह जिसका अन्त शास्त्रीपुरम में सीएफटीआई पर हो चुका है। सिकंदरा रजवाह  में फालतू पानी को रोका कर सीएफटीआई से 2.5 किमी पूर्व तक  200 मीटर चौड़ा एक बहुत बड़ा जलाषय बन सकता है।  इस सम्बन्ध में भूगर्भ जल विभाग के अभियंता के साथ षीघ्र बैठक ग की जायेगी। इस जलाषय हेतु ड्रोन मैपिंग कराई जायेगी।
चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने जंगलों की मृदा जांच हेतु बताया कि मृदा जांच चैम्बर स्तर से कराई जायेगी।
बैठक में अध्यक्ष 
राजेश गोयल, उपाध्यक्ष मनोज बंसल, कोषाध्यक्ष योगेश जिन्दल, प्रकोष्ठ चेयरमैन गोपाल खंडेलवाल, अधिवक्ता के. सी. जैन, सदस्यों में सुशील बंसल, महेश वार्ष्णेय, प्रदीप गर्ग, राजीव सक्सेना, रविशंकर अग्रवाल आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे।