- माल और सेवा कर महानिदेशालय ने व्यावहारिक कठिनाइयां एवं नीतिगत समस्याओं के लिए मांगे सुझाव।
- आवश्यकता पड़ने पर चेंबर के साथ करेंगे बैठक।
- सरकार ने पहली बार मांगे हैं सुझाव – सरकार की बहुत अच्छी पहल।
- धारा 129 की अपील की सुनवाई हो व्यापारी के ही शहर में – न कि माल पकड़े जाने वाले शहर में।
- रिटेलर्स के लिए स्टॉक रजिस्टर की अनिवार्यता की जाये समाप्त।
- लोहे के स्क्रैप पर जीएसटी 18 के स्थान पर की जाये 5 प्रतिशत।
- माल आपूर्तिकर्ता का जीएसटी पंजीकरण गलत पाए जाने पर विभाग की हो जिम्मेदारी।
- जीएसटीआर-9 में त्रुटि को सही करने के बाद विभाग को नहीं जारी करने चाहिए नोटिस।
- चैम्बर का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र मिलेगा महानिदेशालय से।
24 अगस्त 2024 को सायं 5:00 बजे चैंबर भवन में चेंबर अध्यक्ष अतुल कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक का संचालन जीएसटी प्रकोष्ठ की चेयरमैन पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल द्वारा किया गया। अमर मित्तल ने बताया कि जीएसटी महानिदेशालय द्वारा चैम्बर को एक पत्र भेजकर उद्यमियों एवं व्यापारियों को जीएसटी में आ रही नीतिगत एवं व्यावहारिक कठिनाइयों के सम्बन्ध में सुझाव प्रेषित करने के लिए कहा गया है। सरकार द्वारा यह पहली बार सुझाव मांगे गए हैं। सरकार की यह बहुत अच्छी पहल है। पत्र में यह भी कहा गया है कि आवश्यकता पड़ने पर चैम्बर के साथ बैठक करेंगे। जीएसटी में व्यावहारिक कठिनाइयों के सम्बन्ध में सीए आलोक फरसैया ने सुझाव दिया कि माल का ट्रक पकड़े जाने पर धारा 129 के तहत अपील की सुनवाई व्यापारी के शहर में ही होनी चाहिए न कि जहां माल का ट्रक पकड़ा जाता है। सुदूर शहरों में बार-बार जाने में उस व्यापारी को बहुत बड़ी असुविधा होती है। जीएसटी में स्टॉक रजिस्टर रखना अनिवार्य है किंतु रिटेलर व्यापारी के यहां इस रजिस्टर को रखना असंभव होता है। अतः रिटेलर व्यापारी जहां विभिन्न प्रकार की वस्तुएं खरीदी और बेची जाती हैं इस रजिस्टर की अनिवार्यता खत्म की जाए। जीएसटी की रिटर्न में गलती होने पर उसके रेक्टिफिकेशन का प्रावधान नहीं है इससे व्यापारियों को बहुत बड़ी असुविधा होती है। अतः जीएसटी रिटर्न में गलती होने पर उसमें रेक्टिफिकेशन का प्रावधान किया जाए। इस इस प्रावधान के होने से 90% लिटिगेशन के मामले खत्म हो जाएंगे। सीए निखिल गुप्ता ने सुझाव दिया कि प्रत्येक व्यापारी की कंप्लायंस रेटिंग अनिवार्य कर दी जाए जिससे खरीदने वाले व्यापारी को यह पता रहे कि किसी व्यापारी की रेटिंग अच्छी है और जिस व्यापारी की रेटिंग अच्छी होगी खरीदार उसी से माल खरीद सके। जीएसटीआर 2ए और जीएसटीआर 2बी में पोर्टल पर एलिजिबल आईटीसी और नॉन एलिजिबल आईटीसी प्रदर्शित होनी चाहिए जिससे व्यापारी निर्णय ले सके कि उसे किस आईटीसी का क्लेम करना है। चेयरमैन अमर मित्तल ने कहा कि लोहे के स्क्रैप पर जीएसटी दर 18 के स्थान पर 5 प्रतिशत की जाये। लोहे के स्क्रैप पर 18 प्रतिशत जीएसटी होने से विनिर्माताओं को बड़ी पेरशानी होती है क्योंकि यह संभावना बानी रहती है कि लोहे के स्क्रैप विक्रेता 18 प्रतिशत जीएसटी होने से फेक बिल जारी कर सकते हैं। अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता न कहा कि यदि माल आपूर्तिकर्ता व्यपारी का जीएसटी पंजीकरण गलत पाया जाता है तो उसकी जिम्मेदारी जारी करने वाले विभाग की होनी चाहिए न की माल आयातकर्ता व्यापारी की। जीएसटीआर 9 में त्रुटि को सही कर दिया गया है तो उसके बाद विभाग से नोटिस नहीं आने चाहिए। जबकि विभाग द्वारा भेजे जाते हैं। यह गलत है। ये सभी परेशानियां बहुत ही व्यावहारिक हैं। इनके दूर होने उद्योग और व्यापार जगत बहुत बड़ी राहत मिलेगी। इस सम्बन्ध में चैम्बर शीघ्र ही जीएसटी महानिदेशालय से भेंट भी करेगा।
बैठक बैठक में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्मा प्रसाद गर्ग, कोषाध्यक्ष नितेश अग्रवाल, जीएसटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल , पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, आलोक फरसैया, निखिल गुप्ता, सुनील सिंघल, राकेश सिंघल, अनिल अग्रवाल, योगेश जिंदल, एस एन अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।