- साइबर अपराध पर कार्यशाला का किया आयोजन।
- पहले हो सुनिश्चित बाद में सूचना करें साझा।
- सोशल मीडिया पर लगातार लोकेशन पोस्ट न करें।
- सावधानी बरतें किसी भी लालच में न आयें।
- सिस्टम को लगातार अपडेट करें।
- कम्पनी द्वारा भेजे गये अपडेट को ना करें स्कीप्ट।
- शेयर मार्केटिंग के नाम पर ग्रुप को ज्वाइन न करें।
दिनांक 20 अगस्त, 2024 को चैम्बर भवन में साइबर अपराध पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। बैठक का संचालन आईटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन सचिन सारस्वत द्वारा किया गया। बैठक में एसीपी हरीपर्वत आदित्य जी एवं एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी जी ने अपनी टीम के साथ पधारकर साइबर की विस्तृत जानकारी प्रदान की। टीम में इंस्पेक्टर समय सिंह, एसआई जितेन्द्र प्रताप सिंह, टेक्निकल असिस्टेंट अभिशेक कुमार, एसआई विमल कुमार, एसआई सुबोध भान, श्रीमान उमा जी, एसएचओ छत्ता बिनेश गौतम जी उपस्थित रहे।
साइबर अपराध की जानकारी देते हुए एसीपी आदित्य ने बताया कि साइबर अपराध वर्तमान में जन सामान्य से भी बढ़कर उद्योग व्यापार में भी बढ़ते जा रहे हैं। काॅल या मेल प्राप्त होती है घर बैठे कमाएं 500 रुपये प्रतिदिन। इस अपराध में कालेज के बच्चे लालच में आकर और डरकर इस साइबर अपराध के षिकार बन जाते हैं। आगरा में धीरे-धीरे डर वाला क्राइम बढ रहा है। काॅल आने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वह वास्तविक ही काॅल है। धीरे-धीरे उस पर व्यक्ति अपनी सारी जानकारी साझा कर देते हैं। डराने धमकाने में तो वह उस व्यक्ति को आतंकवादी/देशद्रोही की गतिविधियों में लिप्त तक बताने लगते हैं। आगरा में ऐसे दो अपराध आये हैं। कभी-कभी वीडियो कॉल आती है और उसमें उपयोगकर्ता का फोटो सेव हो जाता है। और फिर उसका उत्पीड़न किया जाता है। साठ साल से ऊपर के सेवानिवृत्त व्यक्तियों के पास बार-बार केवाईसी के नाम पर काॅल आती हैं। और इससे उनका डाटा चोरी हो जाता है। षेयर मार्केट में षेयर में मुनाफे का लालच देकर ग्रुप ज्वायन करा लेते हैं। प्रारम्भ में उसे लाभ भी देते हैं। और जैसे ही ट्रांजेक्षन करोड़ों में होता है तभी पैसा लेकर गायब हो जाते हैं। साइबर अपराध में अपराधी के साथ-साथ हमारा भी एक्टिव रोल होता है। अतः बचने के लिए ओटीपी, पासवर्ड आदि शेयर न करें। सिस्टम की सुरक्षा पर पूरी जानकारी बताई। लैपटाॅप या फोन पर कम्पनी द्वारा अपडेट भेजे जाने पर उसे स्क्रिप्ट न करें, अपडेट करते रहें। पासवर्ड ऐसा हो कि वह ट्रेक न हो सके। एंटी वायरस अवश्य यूज करें। अपने सिस्टम में सारे ऑप्शन को परमिशन न दें। जो आवश्यक हो केवल उन्हीं आप्शनस पर परमिशन दें। आटो प्ले करके न छोडे। एनक्रिप्शन में अपने डाटा को कोड में ही भेजें जिसको केवल प्राप्त करने वाला ही समझ सके। फाइल डिलीट करने के बाद वह रिट्रीव हो जाती है। फाइल को वाइड करें। बैंक को भी सलाह दें कि कोई उनकी मेल आने पर जानकारी की पुष्टि करें। यूआरएल की जानकारी लेकर ही ट्रांजेक्शन करें। पहले सुनिश्चित हो जाये उसके बाद ही अपनी सूचना साझा करें। हैव आई बीन पौंड से आप अपनी ईमेल आईडी लिखकर चेक कर सकते हैं कि आपकी ईमेल आईडी को हैक तो नहीं कर दिया है।
एसीपी मयंक तिवारी ने भी इस अवसर पर जानकारी प्रदान की और बताया कि डरने वाली काॅल पर डरें नहीं बल्कि उसकी पहले जानकारी करें। बच्चे इंस्टाग्राम यूज करते हैं और उनसे साइबर अपराधी उनके बचपन की फोटो मांगते हैं। संक्षिप्त में हमें अपना डाटा नहीं देना है। किसी के साथ में साइबर अपराध होने पर सर्वप्रथम 1930 पर शिकायत दर्ज करें। उसके बाद द्वितीय विकल्प साइबर वेबसाइट पर कंप्लेंट दर्ज करें। तीसरा ऑप्शन साइबर थाने को 9839876645 पर सूचित करें। चौथा विकल्प आप नेशनल चैम्बर को भी तुरंत सूचित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी सलाह दी कि यात्रा करते समय अपनी लोकेशन लगातार पोस्ट न करें। आप चौबीसों घंटे ऑनलाइन सर्विस लाइन पर है।
आयोजित कार्यशाला में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग, आईटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन सचिन सारस्वत, पूर्व अध्यक्ष के. सी. जैन, षान्ति स्वरूप गोयल, प्रेम सागर अग्रवाल, अनिल वर्मा, महेन्द्र कुमार सिंघल, श्रीकिषन गोयल, शलभ शर्मा, सदस्यों में अनिल अग्रवाल, रंजीत सामा, योगेश जिंदल, अनुज विरल, अंशुल कौशल, दिनेश कुमार जैन, सतीष अग्रवाल, विजय कुमार गुप्ता, अनूप मित्तल, राजेश कुमार अग्रवाल, संजय गुप्ता, नीतिन अग्रवाल, सचिन सारस्वत, पंकज शर्मा, राजेश कुमार गुप्ता, शिशिर गुप्ता, राजीव अग्रवाल, के. डी. गुप्ता, रवि शंकर अग्रवाल, शशांक गुप्ता आदि मुख्य रुप से सम्मिलित थे।