- जीएसटी है एक पोर्टल साही कर। पोर्टल पर विवरणी भरने पर वरती जाए सावधानी।
- जीएसटीआर1ए फॉर्म लागू जून 2024 से।
- जीएसटी में 2024 से धारा 73 एवं 74 के लिए बनी नवीन धारा 74ए।
- वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 एवं 2020-21 का दावा 30 नवम्बर, 2021 तक कर लिया होगा तो मिलेगा आईटीसी।
- पुराने/छूटे हुए कर का भुगतान करने की कोई समय सीमा नहीं।
- सर्च के दौरान अधिकारी के पास होना चाहिए कोई प्रासंगिक साक्ष्य।
- भवन निर्माता स्वामी को आईटीसी नहीं किन्तु ठेकेदार को मिलेगी आईटीसी।
- यदि आप सही हैं तो सर्च के दौरान नहीं करें हस्ताक्षर पंचनामा पर बिना आपत्ति के।
न्यू मार्केट, जीवनी मंडी स्थित चैम्बर सभागार में सायं 5 बजे जीएसटी पर एक संवाद सत्र का आयोजन चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का संचालन जीएसटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल द्वारा किया गया। इस संवाद सत्र में मुख्य वक्ता सीए निखिल गुप्ता द्वारा जीएसटी पर जानकारी देते हुए बताया कि जीएसटीआर1 में हुई भूल को अगले जीएसटीआर1 में ही सही कर सकते हैं। जीएसटीआर1 में यदि कोई भूल हो जाती है तो उसे जीएसटीआर 3बी से पहले ठीक करना होता है। अब सरकार ने इस गलती को सही करने के लिए पोर्टल पर नया फॉर्म जीएसटीआर1ए लागू कर दिया है। आप जीएसटीआर1 पर जो डिटेल भेजेंगे वही प्रपत्र जीएसटीआर2बी में प्रदर्शित होगी । आईटीसी करदाता का अधिकार नहीं है यह सरकार द्वारा करदाता को दी गई सुविधा है। ऐसा सरकार एवं कोर्ट दोनों का मानना है। आईटीसी क्लेम करने के लिए कर भुगतान करने की अन्तिम तिथि से 180 दिन के अन्दर करदाता द्वारा सभी क्रेडिटर्स को भुगतान कर दिया है तभी आईटीसी क्लेम कर सकते हैं।
वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 एवं 2020-21 का दावा 30 नवम्बर, 2021 तक कर लिया होगा तो उसे आईटीसी मिलेगी । छूटे हुए कर के भुगतान करने की कोई समय सीमा नहीं है। छूटा हुआ कर का भुगतान आपसे कितना ही पुराना हो लिया जा सकता है। साथ ही उस राशि पर ब्याज का भुगतान भी लिया जायेगा और उसका कोई आईटीसी नहीं दिया जायेगा। करदाताओं को 2 प्रकार के नोटिस भेजे जाते हैं। सेक्शन 73 में गलतियों के कारण छूटे हुए कर के सम्बन्ध में तथा धारा 74 में गलत काम के लिए (जानबूझकर) करापवंचन के लिए। धारा 73 में 3 साल तक के कर का भुगतान लेने का प्रावधान है जबकि धारा 74 में 5 साल तक। अब सरकार ने दोनों धाराओं को मिलाकर एक नई धारा 74 ए बना दी है और इसमें दोनों प्रकार के करापवंचन के भुगतान प्राप्त करने हेतु 42 महीने की समय सीमा कर दी है। सर्वे, सर्च के दौरान अधिकारी के पास सर्वे/निरीक्षण करने हेतु प्रासंगिक साक्ष्म होना चाहिए। सर्वे के दौरान अधिकारी द्वारा स्टॉक पर व्यापारी से जो हस्ताक्षर कराये हैं, उन पर अगले दिन तक दोबारा गिनने के लिए यदि आपने आवेदन नहीं किया तो उसे सही माना जायेगा।
प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान सीए निखिल गुप्ता ने बताया कि भवन निर्माता स्वामी को कोई आईटीसी नहीं मिलेगी किन्तु ठेकेदार को आईटीसी मिलेगी। सर्च के दौरान यदि आप सही हैं तो पंचनामा पर हस्ताक्षर न करें अथवा कोई आपत्ति व्यक्त करते हुए हस्ताक्षर करें। जीएसटी नियम में यह बहुत बड़ी सुविधा है कि यदि किसी करदाता की दुर्घटना में निधन हो जाता है तो उसके नॉमिनी को 10 लाख की बीमा राशि तुरन्त दी जाती है।
धन्यवाद ज्ञापन पूर्व अध्यक्ष एवं जीएसटी प्रकोश्ठ चेयरमैन अमर मित्तल द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे दैनिक कार्यों में जो समस्यायें आ रही हैं उनमें इस जानकारी से बहुत लाभ प्राप्त होगा।
बैठक में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग, पूर्व अध्यक्ष एवं जीएसटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन अमर मित्तल, पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, अशोक गोयल, सदस्यों में शैलेश अग्रवाल, शैलेंद्र बंसल, योगेश जिन्दल, विजय कुमार गुप्ता, गोविन्द प्रसाद सिंघल, श्रीकीशन अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, शिशिर गुप्ता, मयंक अग्रवाल, हर्षित अग्रवाल, मयंक मित्तल, सतीश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, राजकुमार भगत, सचिन सारस्वत, अमित झामनानी, नितिन झामनानी, संजय जैन, मान पेंगुरिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।