- चैम्बर ने भेजे आगामी केन्द्रीय वजट के लिए प्रस्ताव।
- धारा 43बी (एच) में रिटर्न दाखिल करने तक बढ़ाई जाये समय सीमा। एमएसएमई से एमएसएमई पर नहीं हो लागू।
- नोटबंदी के समय लाये गये धारा 115 बीबीई की अब जरूरत नहीं इसे हटाया जाये।
- सरकारी आदेश के तहत शहर के अन्दर से फैक्ट्री को बाहर शिफ्ट करने पर संपत्ति को रखा जाए आयकर से बाहर।
- आयकर दर के साथ-साथ सरचार्ज को किया जाये कम।
- सीआईटी अपील नहीं हो फेसलेस।
- ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन की *डिले कंडोनेशन* की शक्ति मिले सीआईटी को।
- सीआईटी अपील पर लंबित निर्णयों पर 20 प्रतिशत से कम के भुगतान पर मिले स्टे ।
- लोक निर्माण में निवेश करने पर धारा 35 एडी में 5 साल के लिए आयकर से मिले छूट।
- आगरा में गैर प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए स्थापित हो सीईजेड।
- ट्रस्ट के केस में 10एबी देरी से फाइलिंग होने पर किया जाये कंडोनेशन ऑफ डिले को सीआईटी अपील में दी जाये अनुमति।
- नई प्रणाली में सामाजिक सुरक्षा के मानक हों मजबूत।
- आगरा को किया जाये बैकवर्ड इन्डस्ट्रीयल एरिया घोषित।
- चैम्बर मिलेगा वित्त मंत्री से।
दिनांक 27 मई, 2024 को सायं 5 बजे चैम्बर भवन में आयकर प्रकोष्ठ की बैठक चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक का संचालन आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन सीए दीपेन्द्र मोहन द्वारा किया गया।
बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा आगामी केन्द्रीय वजट जो जुलाई 2024 में आयेगा के लिए सुझावों पर चर्चा की गई। सुझावों में बताया गया कि धारा 43बी (एच) को उद्यमियों व व्यापारियों के लिए उपयोगी बनाया जाए । इस पर सभी का मत था कि यह एमएसएमई से एमएसएमई पर इसे लागू नहीं होना चाहिए और रिटर्न फाइल करने तक समय सीमा बढ़ानी चाहिए। धारा 115 बीबीई जो नोटबंदी के दौरान अघोषित आय को बाहर लाने के लिए लाया गया था। इसकी अब जरूरत नहीं। अतः इसे अब हटाया जाये। यदि सरकारी आदेश पर किसी फैक्ट्री को शहर के बाहर शिफ्ट किया जाता है, तो शहर में बेची गई संपत्ति आयकर से मुक्त होनी चाहिए। आयकर दर के साथ-साथ सरचार्ज को भी कम किया जाना चाहिए। सीआईटी अपील फेसलेस नहीं होनी चाहिए। ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन की *डिले कंडोनेशन* की शक्ति सीआईटी को मिलनी,चाहिए। सीआईटी अपील पर लंबित निर्णयों पर 20 प्रतिशत से कम के भुगतान पर मिले स्टे दिया जाना चाहिए क्योंकि 20 % जमा किया जाना अत्यधिक हो जाता है । जो व्यक्ति लोक निर्माण के कार्यों में निवेश करने पर धारा 35 एडी में 5 साल के लिए आयकर में छूट मिलनी चाहिए । आगरा में गैर प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए सीईजेड(स्पेशल एक्सपोर्ट जोन) स्थापित होना चाहिए। ट्रस्ट के केस में 10एबी देरी से फाइलिंग होने पर कंडोनेशन ऑफ डिले को सीआईटी अपील में अनुमति मिलनी चाहिए । नई प्रणाली में सामाजिक सुरक्षा के मानक हों मजबूत किया जाए। आगरा लगी विभिन्न बन्दिशोंने के कारण यह औद्योगिक क्षत्र में पिछड़ गया है अतः आगरा को बैकवर्ड इन्डस्ट्रीयल एरिया घोषित किया जाये। इससे आयकर के प्रावधानों में रहत मिलने से निवेश को बढ़ावा मिलेगा। परिणामस्वरूप राजस्व में वृद्धि होगी । इन सभी सुझावों को लेकर चैम्बर का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलेगा।