MEETING OF SHOE AND SHOE COMP0NENTS CELL

  • बीआईएस के सम्बन्ध में हर 15 दिन में होगा एक तकनीकी सत्र।
  • स्कूलों में जूता बनाने की तकनीकी शिक्षा दी जाएगी मुफ्त।
  • जूता उद्यमी उठाएंगे पूरा खर्चा।
  • जूता बनाने की कला सिखाने के लिए जगह जगह खोले जायेंगे केंद्र।
  • जूता उद्योगों के लिए चलाई जा रही योजनाओं हेतु एमएसएमई विभाग से कराया जायेगा जागरूकता कार्यक्रम।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों हेतु हो सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था 
  • औद्योगिक क्षेत्रों की ओर चलाई जायें बसें

दिनांक 15 मई, 2024 को सायं 5 बजे चैम्बर भवन में जूता एवं जूता घटक प्रकोष्ठ की बैठक आयोजित की गई। जिसमें जूता एवं जूता घटक से सम्बन्धित उद्योग एवं व्यापार से सम्बंधित  विभिन्न समस्याओं और सुझावों पर विचार विमर्श किया गया।

चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता  ने कहा कि वर्तमान बीआईएस लैब की अहम समस्या है।  बीआईएस टेस्टिंग लैब की स्थापना हेतु चैम्बर द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। जब तक बीआईएस लैब की स्थापना होती है तब तक चैम्बर के सदस्यों को आगरा की स्थानीय निजी टेस्टिंग लैब – स्लीन ओवरसीज से टेस्टिंग कराने हेतु चैम्बर के सदस्यों को छूट प्रदान करने की मांग की गई। बैठक में उपस्थित स्लीन  ओवरसीज  के अधिकृत प्रतिनिधि निशेष अग्रवाल द्वारा शीघ्र ही 15 प्रतिशत की छूट चैम्बर के सदस्यों को  दिये जाने की घोषणा की गयी।  अग्रसर बीआईएस नियमों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए प्रकोष्ठ चेयरमैन चंद्र मोहन सचदेवा ने बताया कि 1 अगस्त, 2024 से 50 करोड़ के कारोबार से अधिक के जूता उद्योगों पर यह नियम लागु हो जायेगा। यह अत्यंत चिंता का विशय है। बैठक में सरकार से मांग की गई की बीआईएस नियम के सम्बन्ध में उद्यमियों में जागरुकता उत्पन्न की जाये और उन्हें जूता उद्यमियों को पूरी जानकारी प्रदान की जाये। छोटे जूता उद्यमियों को बीआईएस से छूट प्रदान की जाये। क्योंकि 200 रुपये और 2000 रुपये के जूतों में एक ही मानक लागू नहीं किये जा सकते। 31 जुलाई, 2024 तक ही नाॅन बीआईएस जूता आयात हो सकेगा। उसके बाद नाॅन बीआईएस जूता आयात किया जाना मुश्किल होगा।  चैम्बर के उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता ने कहा कि हर 15 दिन में एक तकनीकी सत्र बीआईएस के सम्बन्ध में चैम्बर में आयोजित किया जायेगा।
राजेन्द्र मगन और चन्द्र प्रकाश दौलतानी ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि आगरा में जूतों के छोटे उद्योग बहुत ही महत्वपूर्ण हैं किन्तु जूते बनाने वाले तकनीकी कारीगरों की कमी होती जा रही है।  जूता बनाना एक कला है।  उसके लिए सुझाव आया कि जगह-जगह तकनीकी सेंटर खोले जाएंगे और अवकाश के दिन बस्तियों से बसों द्वारा कारीगरों के आश्रित बच्चों को स्कूल में अनुभवी तकनीकी व्यक्तियों से जूता बनाने की शिक्षा दिलाई जाये।   ऐसे बच्चों को लाने, ले जाने व शिक्षा दिलाने का पूरा खर्चा जूता उद्यमियों द्वारा ही वहन  किया जायेगा।  इस तरह जूते कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों के आश्रित बच्चों को जूता बनाने की तकनीकी शिक्षा  मुफ्त में प्रदान करके इस कला को भविष्य के लिए अधिक सुदृढ़ किया जायेगा।
उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग ने  बताया कि जूता उद्यमियों को एमएसएमई द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी नहीं है जिससे वह सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।  इस सम्बन्ध में शीघ्र ही एमएसएमई के साथ एक सेमिनार का आयोजन करेंगे ताकि जूता उद्योग से सम्बन्धित सरकारी योजनाओं के प्रति उद्यमियों में जागृति उत्पन्न हो सके।  एमएसएमई से मांग की जाएगी कि बीआईएस लैब अधिक से अधिक संख्या में स्थापित करें।
औद्योगिक क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन पर चिंता व्यक्त की गई। औद्योगिक क्षेत्रों में लघु कारखानों को जहां स्वयं की परिवहन की व्यवस्था नहीं है कर्मचारियों को आवागमन में असुविधा होती है। इससे कारखानों का कार्य बाधित होता है। मांग की गई कि शहर में संचालित मेट्रो बसों का संचालन सुबह शाम औद्योगिक क्षेत्रों को व शाम को औद्योगिक क्षेत्रों से होना चाहिए ताकि लघु जूता कारखानों के श्रमिकों का आवागमन सुचारू हो सके।
कुलदीप सिंह कोहली ने सुझाव रखा कि चैम्बर द्वारा वृहद स्तर पर आगरा में शू फेयर लगाया जाये। जिससे  जूता निर्माता व क्रेता-विक्रेता सभी एक मंच पर आ सकें।  इस फेयर में अंतर्राष्ट्रीय जूता क्रेता -विक्रेताोाओं को आमंत्रित किया जाए।  इससे आगरा के जूता उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
बैठक में चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग, जूता एवं जूता घटक प्रकोष्ठ  चेयरमैन चन्द्र मोहन सचदेवा, नितिन झामनानी, संजय अरोड़ा, निशेष अग्रवाल, चन्द्र प्रकाश दौलतानी, समीर धींगरा, रोहित ग्रोवर, चन्द्रवीर सिंह, राजेन्द्र मगन आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे।