- 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के अवसर पर चेंबर ने पर्यावरण बचाने पर किया मंथन
- सभी जगह विलायती बबूल के बढ़ने(उगने) पर व्यक्त की चिंता
- विलायती बबूल की 21 मीटर लंबी जड़ सोख रही है भूगर्भ जलस्तर को
- विलायती बबूल की वजह से नहीं उग रहे अन्य छायादार एवं फलदार वृक्ष
- पूरे जनपद को किया जाये विलायती बबूल मुक्त
दिनांक 22 अप्रैल 2023 को पृथ्वी दिवस के वार्षिक आयोजन के अवसर पर चेंबर द्वारा पर्यावरण बचाने पर चिंता व्यक्त की गई। अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि दशकों पूर्व से सभी स्थानों पर विलायती बबूल निरंतर बढ़ रहे हैं जिसके कारण नदी किनारे, जंगल व आबादी क्षेत्र सभी स्थानों पर विलायती बबूल ही दिखाई देती है। विलायती बबूल सभी जगह उत्पन्न होने से स्थानीय प्रजातियां – छायादार एवं फलदार वृक्षों की दिन पर दिन कमी आ रही है।
आगरा स्मार्ट सिटी एंड एक्सप्रेस वेज़ प्रकोष्ठ के चेयरमैन अधिवक्ता केसी जैन ने कहा कि विलायती बबूल की जड़ 21 मीटर गहरी होने से भूगर्भ जल स्तर में निरंतर कमी ला रही है। सभी जंगलों में विलायती बबुल उगने के कारण अन्य स्थानीय प्रजातियां – छायादार एवं फलदार वृक्ष समाप्त हो गए हैं। विलायती बबूल से स्थान कांटे युक्त होने के कारण जंगलों में बंदर और जंगली जानवर प्रवास नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें कंटीले स्थानों पर रहने में कठिनाई होती हैं।
चेंबर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि विलायती बबूल से एक ओर भूगर्भ जलस्तर में कमी आ रही है वहीं दूसरी ओर फलदार व छायादार वृक्षों की कमी होने से वातावरण में ऑक्सीजन स्तर भी अपेक्षाकृत प्रभावित हो रहा है। साथ ही विलायती बबूल स्थानीय वृक्षों की प्रजातियों की अपेक्षाकृत बादलों को कम आकर्षित कर पाती हैं जिससे बरसात के स्तर में भी प्रतिवर्ष कमी आ रही है। अतः चेंबर की मांग है कि पूरे आगरा जनपद को विलायती बबूल से मुक्त किया जाए ताकि उनके स्थान पर स्थानीय प्रजातियां, छायादार एवं फलदार वृक्ष लग सके और वहां बंदर एवं जंगली जानवर आसानी से रह सके।
अधिवक्ता केसी जैन ने कहा कि वन विभाग एवं प्रशासन माननीय उच्चतम न्यायालय से सम्पूर्ण जनपद को विलायती बबूल से मुक्त कराने की अनुमति प्राप्त करें ताकि जनपद को चरणबद्ध तरीके से विलायती बबूल से मुक्त किया जा सके और उनके स्थान पर देशी व छायादार/फलदार वृक्षारोपण का कार्य किया जाये।