उप श्रम आयुक्त आगरा क्षेत्र के साथ चैम्बर की बैठक
- बाल श्रम का सत्यापन होने तक कोई कार्यवाही नहीं
- किसी भी शिकायत की जांच करना श्रम विभाग का कर्तव्य
- जांच और निरीक्षण दोनों हैं अलग
- भवन निर्माण एवं पुननिर्माण में पंजीकरण आवश्यक
- कुल निर्माण कीमत का एक प्रतिशत उपकर
- स्वप्रमाणन करने पर 5 साल तक निरीक्षण नहीं
- उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार का है सकारात्मक रूख
- उद्यमियों की किसी समस्या के लिए सम्पर्क करें उप श्रम आयुक्त से
दिनांक 23 फरवरी, 2023 को सायं 3ण्30 बजे होटल पी. एल. पैलेस, संजय प्लेस आगरा में चैम्बर अध्यक्ष शलभ शर्मा एवं श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल की संयुक्त अध्यक्षता में उप श्रम आयुक्त, आगरा क्षेत्र, दीप्तिमान भट्ट के साथ एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में श्रम विभाग से उप श्रम आयुक्त के अतिरिक्त, एएलसी शेर सिंह, श्रम प्रवर्तन अधिकारी पी सी दत्त, एस. के. सिन्हा, छत्रसाल बरनवाल, एस. वी. सरोज आदि उपस्थित थे। श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल द्वारा उद्यमियों व व्यापारियों की व्यवहारिक कठिनाईयों के संबंध में एक 9 सूत्रीय प्रतिवेदन प्रेषित किया। (प्रति संलग्न)
अध्यक्ष शलभ शर्मा ने कहा कि इस बैठक से श्रम विभाग एवं उद्यमी व व्यापारी दोनों लाभान्वित होंगे। क्योंकि श्रम सम्बन्धी बहुत सी ऐसी व्यवहारिक समस्याएं जिन्हें श्रम विभाग के शीर्ष अधिकारी के साथ साझा किया जायेगा।
उप श्रम आयुक्त भटट ने बताया कि बाल श्रम की समस्या बड़े अधिश्ठानों में समाप्त हो गई है। सरकार का सख्त रुख है कि प्रदेष में बाल श्रम को 5 वर्श के अन्दर पूरी तरह से प्रतिबंधित करना है। एन.जी.ओ. को अधिष्ठानों में बाल श्रम का निरीक्षण करने का कोई अधिकार नहीं है। केवल श्रम प्रवर्तन निरीक्षक का ही अधिकार है। और जब तक बाल श्रम का सत्यापन सीएमओ से नहीं हो जाता है तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
सरकार द्वारा श्रम हित लाभ से सम्बन्धित कई योजनाएं चल रही है। उनमें से एक योजना श्रमिक की पुत्री की शादी के लिए भी है जिसमें एक लाख रुपये तक का हित लाभ है। इन योजनाओं को समय-2 पर प्रकाशित किया जाता है और चैम्बर में भी भेजने का आश्वासन दिया गया। भवन निर्माण शुरू करने से 30 दिन पूर्व श्रम विभाग को सूचना देने पर उसका पंजीकरण स्वयं हो जाता है और निर्माण कार्य पूर्ण होने पर समस्त निर्माण की कीमत का एक प्रतिशत उप कर जमा करना होता है। न्यूनतम वेतन दिलवाना श्रम विभाग का दायित्व है।
सरकार ने श्रम कानूनों में काफी बदलाव करते हुए मानक निर्धारित किये हैं कि उद्यम को कम से कम हस्तक्षेप किया जाये ताकि वे निरन्तर बढ़ते रहें। उद्योगों को निरीक्षण में बहुत सारी राहतें दी गई हैं। श्रम विभाग सरकार के दिषा निर्देषों के अनुसार ही उद्योगों में हस्तक्षेप करता है। उप श्रमायुक्त महोदय ने उद्यमी एवं व्यापारियों को आश्वासन दिया कि वह अपनी किसी भी समस्या के सम्बन्ध में उन से सीधे सम्पर्क कर सकते हैं।
धन्यवाद ज्ञापन पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल द्वारा किया गया तथा बैठक का संचालन श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल द्वारा किया गया। बैठक बहुत ही सकारात्मक एवं सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई। आगामी बैठक शीघ्र करने के लिए उप श्रमायुक्त महोदय ने स्वयं अनुरोध किया।
बैठक में अध्यक्ष शलभ शर्मा, कोषाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल, पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल, शान्ति स्वरुप गोयल, सीताराम अग्रवाल, योगेन्द्र कुमार सिंघल, अनिल वर्मा, मुकेश कुमार अग्रवाल, महेंद्र सिंघल, अषोक कुमार गोयल, राजीव अग्रवाल, सदस्य राजेश गोयल, राकेश सिंघल, अम्बा प्रसाद गर्ग, सुनील कुमार सिंघल, मनोज बंसल, अनिल अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग, दिलीप शर्मा, सतीश अग्रवाल, मुरारी लाल गोयल, मनोज कुमार अग्रवाल, शिशिर गुप्ता, हरी ओम अग्रवाल आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे।