Meeting with FICCI & IPSOS w r t Ground Level Challenges of MSME units

  • फिक्की एवं एमएसएमई की समस्याओं के अध्ययन हेतु नियुक्त इप्सोस के साथ हुयी बैठक 
  • एमएसएमई की जमीनी स्तर की चुनौतियों पर हुयी चर्चा 
  • सिंगल विंडो सिस्टम नहीं है प्रभावी – चक्कर लगाने पड़ते हैं विभागों के बार बार, उत्पीड़न की बानी रहती है संभावना 
  • एमएसएमई को चलाने या नई स्टार्टअप के लिए उद्यमियों बना रहता है भय का माहौल 
  • कोई भी विभाग निकल देता है वर्षों पुराना बकाया – किसी भी अनुमति के लिए मांगे जाते वर्षों पुराने दस्तावेज 
  • कारोबार की सीमा छोटे कॉर्पोरेट के बराबर करने से एमएसएमई को योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ 
  • डिजिटलाइजेशन में ऑनलाइन  प्रक्रिया है जटिल – बिना सरकारी विभाग के सहयोग से नहीं की जा सकती है पूर्ण 
  • जेम पोर्टल पर पंजीकरण को नहीं किया जा सकता पूर्ण एक/प्रथम बार में 
  • सम्पत्तिकर,जल मूल्य एवं सीवर मूल्य में हुयी है है बेतहाशा वृद्धि – एमएसएमई के लिए है प्रतिकूल 
  • जीएसटी के नियमों में किया जाये सरलीकरण – वेंडर द्वारा कर जमा न करने पर खरीदार व्यापारी को नहीं ठहराया जाये दोषी 
  • आयकर अधिनियम की धारा ४३ बी का पड़ा है विपरीत  प्रभाव 
  • एमएसएमई के स्थायित्व के लिए आगरा में मानदंड हैं काफी कड़े
  • वित्तीय सहायता हेतु  बैंक की कोलेटरल मुक्त ऋण योजना  नहीं है वास्तव में लागू 
  • बैंक के खर्चों में हई है काफी वृद्धि
दिनांक 26 अप्रैल, 2023 को चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में एक बैठक फिक्की नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर देवाशीष पाल एवं इप्सोस कंपनी के प्रतिनिधि मिताली सिंह के साथ आयोजित हुई। बैठक का संचालन फिक्की समन्वय प्रकोष्ठ के चेयरमैन अनूप गोयल द्वारा किया गया। बैठक में एमएसएमई इकाइयों की जमीनी स्तर की चुनौतियों पर चर्चा हुई। अनूप गोयल द्वारा बताया गया कि कोरोना काल के बाद एमएसएमई इकाइयों के लिये व्यापार में माल परिवहन, कच्चे माल की कीमत आदि में काफी वृद्धि हुई है। विभागों के साथ ऑनलाइन पंजीकरण कराने में काफी जटिलताएं है। अतः ऑनलाइन प्रणाली सरल होनी चाहिए।
जैम पोर्टल पर पंजीकरण कराना काफी जटिल है। पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने बताया कि उनके स्वयं के जैम पोर्टल पर पंजीकरण कराने में चार माह का समय लगा। क्योंकि यह स्टेप बाई स्टेप है और दस्तावेजों की संख्या बहुत ज्यादा है। अतः सुझाव दिया गया कि  दस्तावेजों की संख्या कम की जाये और इस पंजकीरण को हर स्टेप पर सुरक्षित किया जाये।
अध्यक्ष राजेष गोयल ने बताया कि आज एमएसएमई इकाईयों को विभागों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। सिंगल विन्डो सिस्टम प्रभावी नहीं है। जिससे न्यू स्टार्टअप के मन में विभिन्न प्रकार की शंकाएं एवं भय का माहौल बना रहता है। अतः सरकार को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें एमएसएमई इकाइयों को भयमुक्त बनाया जा सकें। उन्हें विष्वास दिलाया जाये उनका विभागों द्वारा उत्पीड़न नहीं किया जायेगा। आज के समय में कोई भी विभाग पुराना बकाया निकाल देता है। पंजीकरण के लिए 70 वर्श पुराने दस्तावेज मांगे जाते हैं। वर्षों पूर्व बने अधिनियमों को आज के अनुसार व्यावहारिक बनाया गया है। न्यू स्टार्टअप तभी जुड़ेंगे तब उन्हें सुविधाएं प्रदान की जायेंगी।
बैंक में ऋण उपलब्ध कराने के लिए कोलेटरल मुक्त ऋण योजना नाम मात्र को पेपर पर ही हैं। व्यावहारिक रुप से लागू नहीं हैं। आयकर प्रकोश्ठ के चेयरमैन अनिल वर्मा ने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 43(बी) के तहत एमएसएमई इकाई को 15 दिन में या एग्रीमेंट के तहत 45 दिनों में भुगतान करने का नियम एमएसएमई इकाई के लिए विपरीत प्रभाव डाल रहा है। क्योंकि 15 दिन बाद भुगतान न करने पर माल प्राप्तकर्ता की आय में वह रकम जुड़ जाती है। जिससे बड़े व्यापारी एमएसएमई इकाईयों के साथ व्यापार बन्द कर रहे हैं। एमएसएमई इकाईयों की कारोबार की सीमायें छोटे कॉरपोरेट के बराबर तक बढ़ाने से सरकारी सभी योजनाओं का लाभ बड़े उद्यमियों द्वारा लिया जा रहा है।
पूर्वअध्यक्ष मुकेष अग्रवाल ने बताया कि एमएसएमई इकाईयाँ भूमि लीज होल्ड भूमि पर हैं। जिससे उत्पाद अप्रचलित होने पर या फर्म के संविधान में कोई परिवर्तन होने पर बड़ी जटिल प्रक्रिया से जाना पड़ता है। कोरोना काल में बहुत से लीज होल्डर की मृत्यु होने के बाद वह एमएसएमई इकाईयां पुनः स्थापित नहीं हो पाई हैं। अतः लीज होल्ड भूखण्डों को फ्रीहोल्ड किया जाये।
सम्पत्तिकर 10 गुने से भी अधिक कर दिया गया है। उसी अनुपात में जलकर एवं सीवर कर में बढ़ोतरी हुई है। पुराने बकायों के साथ भारी भरकम राषियों के साथ नोटिस दिये जा रहे हैं। जीएसटी के नियमों में सरलीकरण की आवष्यकता हैं।
फिक्की द्वारा डिजीटल एडोप्षन का लाभ जानने पर बताया कि डिजीटल प्रक्रिया अच्छी है किन्तु सरकारी स्तर पर इसका अनुपालन सही नहीं हैं। फिक्की द्वारा स्थायित्व के सम्बन्ध में जानने पर चैम्बर अध्यक्ष राजेष गोयल ने बताया कि आगरा के सम्बन्ध में यहां मानदण्ड बहुत ही कड़े हैं। यहां पर केवल ष्वेत श्रेणी के उद्योग ही लगाये जा सकते हैं। इसमें भी यह आशंका बनी रहती है कि यह उद्योग कितना चलेगा। उद्योग का विस्तारीकरण यहां कर नहीं सकते।
बैंक के खर्चे बहुत बढ़ गये हैं। यह भी सुझाव दिया कि 50 करोड तक के उद्योग को एमएसएमई इकाईयों में अलग वगीकृत किया जाये।
फिक्की द्वारा बताया गया कि भारत सरकार स्तर पर बहुत सारे सुझाव फिक्की द्वारा भेजे गये हैं। चैम्बर से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य स्तर एवं केन्द्र स्तर पर पुनः सुझाव भेजे जायेंगे।
बैठक में फिक्की से उपनिदेशक देवाशीष पाल एवं इप्सोस से मिताली सिंह, चैम्बर से अध्यक्ष राजेश गोयल, उपाध्यक्ष मनोज बंसल, कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल, फिक्की, सीआईआई समन्वय प्रकोष्ठ के चेयरमैन अनूप गोयल, पूर्वअध्यक्ष मुकेष अग्रवाल, अनिल वर्मा, श्रीकिषन गोयल, सदस्य संजय गोयल, नरेन्द्र तनेजा, राज किशोर खंडेलवाल, प्रार्थना जालौन आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे।