Demand to pave Chuck-Roads in Rural Areas

  • चकरोडों को पक्का किया जाए ताकि गांव से शहर की ओर रुके पलायन। 
  • गांव में हो सकेगा सर्वांगीण विकास। 
  • छोटे-छोटे उद्योग हो सकेंगे स्थापित। 
  • गांव से ही होकर जाता है विकास। 
  • खुल सकेंगे खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योग। 
  • चकरोड पक्के किये जाने का कार्य प्रारम्भ किया जाए आगरा से 
दिनांक 3 जनवरी 2022 को चेंबर द्वारा माननीय ग्राम विकास मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, श्रीमान राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह जी, कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसन्धान मंत्री उत्तर प्रदेश – श्री सूर्य प्रताप साही एवं केंद्रीय कृषि मंत्री – श्री नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि विकास से ग्रामीण विकास के संबंध में एक पत्र लिखा गया।  चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में गांव से शहर की ओर पलायन तेजी से हो रहा है,  जिसका मुख्य कारण गांव का विकास अपेक्षित रूप से न होना है।  गांव के विकास के लिए कृषि विकास अनिवार्य है।  कृषि विकास के लिए किसानों को सुविधा मुहैया कराना आवश्यक है।  इस हेतु चकरोडों जिन्हें वर्तमान में दबंगों द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा कर किया गया है और अपनी भूमि में मिला लिया गया है, उनकी निशानदेही खत्म कर दी गई है, की निशान जी पुनः जीवित करने की आवश्यकता है।  उन्हें पक्का करने की आवश्यकता है, ताकि किसान अपने खेत पर सही समय पर कृषि कार्य संपन्न कर सकें और अपनी मनचाही कीमती फसलें ऊगा सके।  उन्होंने आगे बताया कि पत्र में निवेदन किया गया है कि देश की एक बहुत बड़ी आबादी  ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है जो मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भर करती है जिनका सीधा संबंध कृषि विकास से है और देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान किसी से छिपा नहीं है। वर्तमान में असुविधा की बजह से कृषि क्षेत्र में लागत मूल्यों में जो बृद्धि आई है उससे कृषि से प्राप्त लाभ में लगातार कमी आती जा रही है। इस हेतु निम्नलिखित सुझाव प्रेषित किये गए:-
1. कृषि को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित किया जाए:
आज के समय में ग्राम्य विकास के लिए कृषि को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने की महती आवश्यकता है।  कृषि को कुटीर उद्योग में  विकसित करने के लिए कृषि कार्यों को सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा छोड़े गए चकरोडों को जिन पर वर्तमान में दबंगों द्वारा अवैध कब्जे कर लिए गए हैं।  जिसके कारण छोटे व गरीब किसान अपनी भूमि पर सही समय से कृषि कार्य संपन्न नहीं कर पाते हैं और सही समय से अपने भूमि पर मनचाही कीमती फसलें नहीं ऊगा पाते हैं।  परिणामस्वरूप चकरोड विवादों को बढ़ावा मिल रहा है।  साथ ही खेती उनके लिए लगातार घाटे का व्यापार बनती जा रही है और वे निरंतर कर्ज में डूबते जा रहे हैं। अतः हमारा सुझाव है कि कृषि कार्यों के लिए छोड़े गए चकरोडों से अवैध कब्जों को शीघ्र हटाया जाए।  उनकी निशानदेही को जीवित किया जाए और उन्हें पक्का निर्मित कराया जाए।  जिससे किसानों को किसी भी समय /ऋतु में अपने खेत पर आवागमन में असुविधा व भय न हो।  वह अपनी भूमि पर समय के अनुसार सही व कीमती फसलें ऊगा सकें।  कृषि पैदावार को सुविधापूर्वक मंडी एवं बाजारों तक पहुँच सके और खेतों को कृषि कुटीर उद्योग के रूप में विकसित कर सकें। इससे चकरोड विवाद समाप्त होंगे जिससे किसानों में अमन चैन स्थापित होगा।
चकरोड संबंधी विवाद उत्तर प्रदेश राज्य में अधिक संख्या में पाए जाते हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में भूमि की कमी होने के कारण किसानों द्वारा अक्सर उनके खेत के निकट चकरोड़ को अपनी जमीन में मिला दिया गया है।
2. हर खेत को मिली पानी तथा हर खेत को मिले बिजली 
वर्तमान में विद्युत कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को कृषि कार्य जैसे सिंचाई अदि हेतु दी जाने वाली विद्युत में कटौती की जा रही है।  कई विद्युत वितरण सबस्टेशनों पर मात्र 8 -10 घंटे ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है।  महोदय, इस संबंध में हमारा विनम्र अनुरोध है कि कृषि कार्य हेतु दी  जाने वाली विद्युत में कटौती नहीं की जाए।  बल्कि खेती के लिए अधिक से अधिक घंटे विद्युत आपूर्ति सस्ती दर पर की जाए।  क्योंकि किसानों को विद्युत में कटौती से सिंचाई की कमी के कारण फसलें अपेक्षित क्षेत्रफल में नहीं उगाई जा सकेगी।  इससे राज्य और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था तथा महंगाई दर प्रभावित होगी।  इसके विपरीत अधिक घंटे व सस्ती दर पर बिजली मिलने से किसान अधिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
चकरोड पक्के होने से खाद्य प्रसंस्करण जैसे बहुत से कुटीर उद्योग ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित हो सकेंगे।  कम परिवहन लगत पर किसानों को अपने उत्पादन कासही मूल्य भी मिल सकेगा।  उपभोक्ताओं को सही मूल्य पर खाद्य व अन्य वस्तुऐं मिलेंगी।  कृषि के क्षेत्र में आगरा जनपद अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आलू उत्पादन में तो आगरा परिक्षेत्र एक हब के रूप में उभर कर आया है।  यहाँ आलू का उत्पादन पूरे भारतवर्ष का एक तिहाई होता है।  इसके अतिरिक्त आगरा परिक्षेत्र में लगभग सभी प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।  अतः हमारा निवेदन है कि कृशि क्षेत्र में आगरा का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण कृषि विकास की बाधाओं को दूर करने तथा विवादों को खत्म करने के लिए चकरोडों को पक्का करने का कार्य सर्वप्रथम जनपद आगरा से प्रारंभ किया जाए।