Anomalies in Property Tax Act & Rules

  • संपत्ति कर पर ब्याजमांफी में देरी होने से चैम्बर ने जताया रोष
  • आगरा नगर निगम पहले ही भेज चुका है ब्याजमांफी का प्रस्ताव
  • हम कर जमा करने को हैं तैयार किन्तु सरकार की मनसा साफ़ नहीं
  • किस बात की ब्याज?
  • चैम्बर ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
  • चैम्बर ने प्रदेश के सभी महापौरों को भी पुनः लिखा पत्र
  • सभी मिलकर ब्याजमांफी की लड़ाई लड़ने के लिए आएं आगे
  • मुख्यमंत्री पर बनाएं दवाब
  • संपत्ति कर अधिनियम एवं नियमावली में हैं विभिन्न प्रकार की विसंगतियां
  • विसंगतियों को दूर करने के लिए चैम्बर लिख चुका है कई बार
  • आवासीय संपत्तियों पर कर की नियमावली तो स्पष्ट है किन्तु अनावासीय सम्पतियों पर कर नियम नहीं है स्पष्ट
  • नियमावली में कर की दर में “रुपए प्रति वर्ग फुट ” लिखा है जो नियम विरुद्ध है – वर्तमान में लागू है मीट्रिक प्रणाली
  • नियमावली में आवासीय संपत्तियों जैसे औद्योगिक/वाणिज्यिक भवन, विद्यालय, अस्पताल, कार्यालय आदि का नहीं किया गया है वर्गीकरण
  • अनावासीय संपत्तियों पर कर का वर्गीकरण हों नियमावली में प्रथक प्रथक
  • अधिनियम में यह स्पष्ट है कि कर की राशि में गत वर्ष की तुलना में व्यावहारिक वृद्धि से अधिक नहीं बढ़ सकती और यदि असामान्य वृद्धि होती है तो निगम को कम करने का है अधिकार
  • नई नियमावली में कर की राशि गत वर्ष की तुलना में 4 से 5 गुना तक अधिक हो रही है अतः अधिनियम के है विरुद्ध
  • एक लंबे अंतराल से जब कर का आकलन भी नहीं हुआ था, लगाई जा रही है ब्याज जो क़ानूनी प्रक्रिया के है विरुध्द
  • नगर निगम आगरा ने ब्याज माफी के लिए भेजे गए प्रस्ताव को किया जाये स्वीकृति
  • ब्याज माफी न होने से उद्यमी/व्यापारी नहीं जमा कर पा रहे हैं संपत्ति कर
  • प्रस्ताव की स्वीकृत से सरकार को प्राप्ति होगी राजस्व की – सरकार की छवि पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
  • भुगतान होने से उद्यमियों/व्यापारियों पर नहीं बढ़ेगी कर की देयता

दिनांक 23 नवंबर 2021 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय को संपत्ति कर की विसंगतियों को सही करने एवं संपत्ति कर पर नियम विरुद्ध लगाईं गयी ब्याज मांफ के प्रस्ताव को स्वीकृति करने के संबंध में एक पत्र भेजा गया। चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि उद्यमी व व्यापारी संपत्ति कर जमा करने के लिए तत्पर हैं किंतु निगम के अधिकारी कर लेना नहीं चाहते हैं क्योंकि चेंबर द्वारा बार-बार अनुरोध किया गया है कि संपत्ति कर नियमावली में विसंगतियों को दूर कर अधिनियम के अनुरूप किया जाए। किंतु यह इतना महत्वपूर्ण मामला जो कि सीधे सरकार के खजाने से जुड़ा है, बरसों से उलझा पड़ा है। जिससे अधिनियम एवं नियमावली में विभिन्न प्रकार की विसंगतियों के चलते उद्यमी एवं व्यापारी अपने औद्योगिक एवं व्यापारिक भवन पर कर की राशि जमा नहीं कर पा रहे हैं। इन विसंगतियों के कारण औद्योगिक एवं व्यापारिक भवन पर कर का आकलन सही नहीं हो पा रहा है। गत वर्षो के संपत्ति कर की तुलना में नई नियमावली में संपत्ति कर 4 से 5 गुना अधिक हो रहा है। साथ ही इसके अतिरिक्त निगम द्वारा एक लंबे अंतराल से कर की राशि पर ब्याज लगा दी गई है जो क़ानूनी प्रक्रिया के विरुद्ध है क्योंकि ब्याज तभी लगाई जा सकती है जब कर का भुगतान नहीं किया जा रहा हो। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि बिना कर की मांग उत्पन्न हुए पूर्व व्यापी प्रभाव से कर की राशि पर ब्याज लगा दी गयी है।

संपत्ति कर प्रकोष्ठ के चेयरमैन विष्णु भगवान अग्रवाल ने बताया कि नियमावली में कर की दर “रुपए प्रति स्क्वेयर फुट” लिखी है जो गलत है। वर्तमान में मेट्रिक प्रणाली विद्यमान है। अतः कर की गणना मेट्रिक प्रणाली में होनी चाहिए। यह नियमावली के अंतर्गत त्रुटि है। अनावासीय संपत्तियों के संबंध में नियमावली के अंतर्गत विविध प्रकार की विसंगतियां हैं। अनवासी संपत्ति के कर की गणना बिना वर्गीकरण के आवासीय भवन को आधार बनाकर की गयी है किन्तु आवासीय भवन पर मिलने वाली छूटें नहीं दी गयी है। आनावासीय संपत्तियों का वर्गीकरण जैसे औद्योगिक /व्यापारिक भवन, विद्यालय, अस्पताल आदि के लिए पृथक पृथक नियम बनने चाहिए। अधिनियम में यह स्पष्ट है कि कर की राशि गत वर्ष की तुलना में व्यावहारिक वृद्धि से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि असामान्य वृद्धि होती है तो निगम को उस राशि को कम करने का अधिकार है। वर्तमान नई नियमावली में कर की राशि गत वर्ष के कर की तुलना में 4 से 5 गुना तक हो रही है जो अधिनियम के विरुद्ध है।

पूर्व अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि अधिनियम एवं नियमावली में विसंगतियां हैं जिसके लिए चेंबर कई वर्षों से लगातार निगम एवं अन्य स्तरों पर विसंगतियों को दूर करने के लिए अनुरोध कर रहा है। विसंगतियों को बिना दूर किए निगम द्वारा जो बिल भेजे जा रहे हैं उनमें एक लंबे अंतराल से ब्याज लगाई जा रही है जो कानूनी प्रक्रिया के विरुद्ध हैं। चाहते हैं इसीलिए वे विसंगतियों को दूर कराने के लिए प्रयासरत नहीं हो रहे हैं।

चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि कर की राशि पर निगम द्वारा ब्याज मांफी में देरी होने से करदाताओं में रोष है। करदाताओं का कहना है कि ब्याज किस बात की दी जाए और वह भी पूर्व व्यापी प्रभाव से, कर की राशि की गणना करने की तिथि से पूर्व। माननीय मुख्यमंत्री महोदय को भेजे गए पत्र में यह अनुरोध किया गया है कि संपत्ति कर के अधिनियम एवं नियमावली में विसंगतियों को दूर किया जाए और आगरा नगर निगम द्वारा ब्याज माफी के भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकृत किया जाए जिससे व्यापारी एवं उद्यमी कर की राशि जमा कर सकें। इससे एक और तो उद्यमियों एवं व्यापारियों पर कर की देयता जो प्रति वर्ष बढ़ रही है की समस्या से उन्हें निजात मिलेगी वहीं दूसरी ओर सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। इससे सरकार की छवि भी सकारात्मक रूप से प्रभावित होगी। उनहोंने आगे बताया कि चैम्बर द्वारा राज्य के सभी महापौरों को पुनः पत्र इस अनुरोध के साथ किया है कि इस नियम विरुद्ध कर की गणना के लिए लड़ाई में वे सभी मिलकर आगे आऐं और मुख्यमंत्री महोदय पर उद्योगों के हित में ब्याजमांफी के लिए सामूहिक रूप से दवाब बनाएं।