माननीय श्रम मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से मिला चेंबर का प्रतिनिधिमंडल

दिनांक 4 दिसंबर 2018 को चेंबर अध्यक्ष राजीव तिवारी जी की अध्यक्षता में चेंबर का एक प्रतिनिधिमंडल माननीय श्रम मंत्री, श्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी से लखनऊ में मिला।

श्रमिकों को नगदभुगतान किए जाने के अध्यादेश से आ रही समस्याओं के संबंध में  प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री महोदय को अवगत कराते हुए एक प्रतिवेदन सौंपा।

माननीय महोदय,

हमारे अनुरोध को स्वीकार करते हुए आपने अपनी व्यस्तम सूची में से हमें समय प्रदान किया इस हेतु हम आपके प्रति आभार प्रकट करते हैं।

हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यू0पी0, आगरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उद्योग एवं व्यापार की एक संघीय एवं शीर्ष संस्था है एवं वर्ष 1949 (69 वर्ष से अधिक) से निरन्तर कार्यरत है। इसमें 1600 से अधिक औद्योगिक एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान जो आगरा जनपद एवं आसपास के जनपदों में स्थित है इससे सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जनपद के 22 प्रमुख व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठन भी चैम्बर से संबद्ध हैं। यह संस्था राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे सीआईआई, फिक्की, फीओ के साथ मिलकर उद्योग एवं व्यापार के हित सम्वर्धन में निरन्तर कार्यरत है।

मजदूरी संदाय (उत्तर प्रदेष संषोधन) अधिनियम 2017 के द्वारा मजदूरी संदाय अधिनियम 1936 की धारा 6 में संषोधन किया गया है। जो निम्न प्रकार हैः-

‘‘6-औद्योगिक या किसी अन्य अधिश्ठान का प्रत्येक नियोक्ता, अपने कर्मचारियों को मजदूरी का भुगतान बैंक चेक या नेषनल इलैक्ट्रोनिक फण्ड ट्रांसफर या इलेक्ट्रानिक क्लीयरिंग सर्विस सिस्टम के माध्यम से उनक बैंक खातों में करेगा। परन्तु यदि किसी नियोजित व्यक्ति का कार्य अस्थायी/आकस्मिक/नियत कालिक प्रकृति का हो और वह अपने स्वप्रमाणित आधार कार्ड की प्रतिलिपि प्रस्तुत करता है तो संबधित नियोक्ता तीन माह की अवधि के दौरान अनधिक पांच हजार रूपये की देय मजदूरी का नकद भुगतान संबधित कर्मचारी को कर सकता है।

इसी प्रकार न्यूनतम मजदूरी (उत्तर प्रदेष संषोधन) अधिनियम 2017 के अनुसार धारा 11 (1) निम्नानुसार संषोधन किया गया हैः-

‘‘औद्योगिक या अन्य अधिश्ठान का प्रत्येक नियोक्ता/स्वामी अपने कर्मचारी का मजदूरी का संदाय चैक या एनईएफटी, ईसीएस या अन्य बैंककारी समाधानों के माध्यम से करेगा। परन्तु यदि नियोजित व्यक्ति का कार्य, अस्थायी/आकस्मिक या नियत अवधि का है तो उसके द्वारा लिखित सहमति और स्व प्रमाणित आधार कार्ड की प्रतिलिपि प्रस्तुत किये जाने पर उक्त नियोक्ता तीन माह में एक बार अनधिक पांच हजार रूपये की मजदूरी का नकद भुगतान करेगा।’’

हम आपका ध्यान निम्नलिखित ज्वलंत मुददे की ओर आकर्शित करना चाहते हैंः-

  1. उपरोक्त के अनुसार तीन माह में अधिकतम 5 हजार रू0 की नकद राषि में भुगतान के अतिरिक्त नियोक्ता मजदूरी का भुगतान बैंक चेक या एनईएफटी या ईसीएसएस के माध्यम से उनके बैंक खातों में करेगा।
  2. उपरोक्त संषोधन से नियोक्ता एवं नियमित कर्मचारी दोनो में ही रोश व्याप्त है क्योंकि यह अव्यवहारिक है। छोटे व कुटीर उद्योगों में अधिकांषतः श्रमिक अषिक्षित हैं एवं बैकों में उनके द्वारा अपने खाते नहीं खुलवाये गए है।
  3. इस संषोधन पर विभिन्न ऐसोसिएषनों जैसे नेषनल चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स, यूपी आगरा, आईआईए, एसोचैम, एैक्मा, आगरा ऑयरन फॉउन्डर्स एसोसियेषन व विभिन्न श्रमिक संगठन आदि के साथ बैठक में भी इसे अव्यवहारिक करार देते हुए विरोध प्रकट किया गया है।
  4. छोटे व कुटीर उद्योगों में लगे श्रमिक नकद अग्रिम भुगतान पर कार्य करते है और अग्रिम भुगतान का सामानजस्य कई आगामी माहों तक करवातें है।
  5. उपरोक्त आश्रय का बदलाव उत्तर प्रदेष राज्य या एक-दो राज्यों को छोड़कर अन्य किसी राज्य में लागू नहीं है जिसके कारण श्रमिक उपलब्धता प्रभावित होगी।
  6. छोटे व कुटीर उद्योगों में दैनिक मजदूरी पर भारी संख्या में श्रमिक कार्य करते है। उन्हें दैनिक भुगतान करना होता है जिससे वे अपनी दिन प्रतिदिन की आवष्यकता की पूर्ति करते है। चैक से भुगतान करने पर दैनिक मजदूर कार्य करने के लिए तैयार नहीं हैं जिससे छोटे व कुटीर उद्योगों का कार्य बुरी तरह प्रभावित होगा।
  7. उपरोक्त संषोधन के अनुसार भुगतान न करने की स्थिति में नियोक्ता पर जुर्माने व 6 माह की सजा का प्रावधान है इससे उद्यमियों में भारी रोश व भय व्याप्त है क्योंकि इससे इन्सपेक्टर राज व भ्रश्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
  8. नियोक्ता अपने श्रमकों/कर्मचारियों को भुगतान चैक द्वारा ही देना चाहता है किन्तु अधिकांष श्रमिक नकद भुगतान ही लेना चाहते हैं और बिना नकद भुगतान के वे कार्य करने को तैयार नहीं है।
  9. बड़ी संख्या में मजदूरों ने अभी तक बैंकों में खाते नहीं खुलबाये है और न ही वे खाते खुलवाने को तैयार है। कुछ मजदूरों ने तो अपने आधार कार्ड तक नहीं बनवायें है।
  10. बैंकों में अनेकों बार सरवर डाउन रहता है। नियोक्ता व कर्मचारी का खाता अलग-अलग बैंकों में होने पर एनईएफटी/आरटीजीएस से फन्ड ट्रांसफर में अधिक समय लग जाता है। यही नहीं कई बार एटीएम को ठीक प्रकार से संचालित नहंी किया जाता है तो आहरण के दुरूपयोग की संभावना होती है। सामान्यतः श्रमिक अषिक्षित होते है अतः श्रमिकों द्वारा एटीएम से आहरण करने पर उसके दुरूपयोग होने की संभावना और बढ़ जाती है।

आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त तथ्यों को ध्यान रखते हुए इस संषोधन को यथा षीघ्र समाप्त किया जाए क्योंकि यह अवव्यहारिक है, नियोक्ता एवं श्रमिक देानों के लिए असुविधाजनक है। यदि इन संषोधनों को समाप्त किया जाना संभव नही हो तो हमारा निवेदन है कि इसे 50 श्रमिकों से कम नियाजन वाले प्रतिश्ठानों पर लागू नहीं किया जाये।

श्रमिकों को नकद भुगतान किए जाने के संबंध में विभिन्न कारणों से इस अध्यादेश को अव्यावहारिक बताते हुए प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित किया कि इस अध्यादेश से छोटेउद्योगों को एवं उनमें कार्य कर रहे मजदूरों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।   अतः यह अध्यादेश अव्यावहारिक है इसमें संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।

माननीय श्रम मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने चेंबर के प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया कि मजदूरों का उत्पीड़न रोकने के लिए यह नियम बनाया गया था।  उन्होंहने  उदहारण  देते  हुए  बताया  कि बाहर  के  राज्यों  से  आने  वाले   मजदूर  विशेष  रूप  से  ईट  भट्टों  पर  कार्य  करने  वाले  श्रमिकों  का ठेकेदारों द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा था इसलिए सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा।

इस अध्यादेशके लागू होने से छोटे उद्यमियों एवं मजदूरों को आ रही परेशानियों से सरकार अवगत है और रहत दिए जाने पर विचार किया जा रहा है।  माननीय मंत्री महोदय ने चैम्बर से आव्हान किया वे अधिकसे अधिक श्रमिकों के बैंक खाते खुलवाने के लिए प्रयास करें।

इस पर प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मंत्री महोदय को आश्वासन दिया कि वे  अधिक से अधिक बैंक खाते खुलवाने का प्रयास करेंगे।

पर्याप्त चर्चा के  बाद  माननीय मंत्री महोदय ने आश्वासन दिया कि उद्यमियों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा और समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही  राहतदिए जाने के संकेत दिए।

चैम्बर  के प्रतिनिधिमंडल में चेंबर अध्यक्ष राजीव तिवारी, उपाध्यक्ष  मुरारी  लाल  गोयल,  श्रम  कल्याण  प्रकोष्ठ  के  चेयरमैन  श्री  कृष्ण  गोयल,  पूर्व  अध्यक्ष  महेंद्र कुमार सिंगल,  अतुल कुमार गुप्ता सम्मिलित थे।