1. नई पाॅलिसी का उद्यमियांे ने किया विरोध।
2. यह कवेल बड़े ही उद्यमियों को ही होगा लाभ।
3. एक हेक्टेयर से अधिक अधिग्रहीत भूमि की कंपनियांे को ही लाभ।
4. छोटे उद्यमियों के साथ अन्याय।
5. एमएसएमई इकाइयाँ अधिकांषतः नीति के लाभ से बाहर।
6. या तो बीमार इकाइयाँ या विधिक बाध्यता के कारण न चलने वाली कंपनियों को ही लाभ।
7. चैम्बर ने की मांग – कड़े श्रम से चलायी जाने वाली एमएसएमई इकाइयों को भी मिले इस नीति का लाभ।
8. दूर हों कठिनाईयाँ – स्वामित्व परिवर्तन, संविधान परिवर्तन, उत्पाद परिवर्तन, उद्योग के विस्तारीकरण हेतु अधिक वित्तीय सुविधा हेतु भूमि को रेहन पर रखना, सबलेटिंग आदि।
महोदय,
आज दिनांक 14-06-16 को सायं 5.30 बजे जीवनी मंडी स्थित चैम्बर सभागार में चैम्बर अध्यक्ष अषोक कुमार गोयल की अध्यक्षता में उ0प्र0 औद्योगिक विकास विभाग द्वारा उद्योग की स्थापना के लिये विभिन्न कंपनियां हेतु अधिग्रहीत की गयी भूमि को फ्रीहोल्ड किये जाने संबंधी जो नीति 2016 पर विचार-विमर्ष किया गया। चैम्बर अध्यक्ष अषोक कुमार गोयल ने कहा कि अधिग्रहीत भूमि को फ्रीहोल्ड किये जाने संबंधी नीति से केवल बडी कंपनियों को ही लाभ मिलेगा। क्योंकि भूमि की सीमा एक हेक्टेयर से अधिक रखी है। जबकि एमएसएमई इकाइयाँ अधिकांषतः एक हेक्टेयर भूमि से कम भूमि में ही स्थापित हैं। आगरा आयरन फाउंडर्स एसो0 के अध्यक्ष एवं चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल ने बताया कि इस नीति से केवल बीमार या बंद पडी इकाइयों को ही लाभ होगा जो इकाइयाँ कार्यरत हैं। उसे उन्हें इस नीति से कोई लाभ नहीं। हम सरकार के समक्ष इस पक्ष को पुरजोर रखेंगे। सिकन्दरा फैक्ट्री आॅनर्स एसो0 के अध्यक्ष एवं चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष मुकेष अग्रवाल ने बताया कि इस नीति से या तो बीमार या बंद पडी इकाइयाँ अथवा विधिक बाध्यता के कारण चलने में असमर्थ इकाइयों को ही लाभ प्राप्त हो हो रहा है जबकि चैम्बर की मांग यह रही है कि जो एमएसएमई इकाइयाँ अपने कड़े श्रम से ठीक चल रही हैं उनकी कठिनाइयों को दूर करने के लिये भूखंडों को फ्रीहोल्ड कराये जाने की नीति बनायी जाये। इस नीति में ऐसी इकाइयों के लिये कोई प्राविधान नहीं किया गया है जिससे कि एमएसएमई इकाइयाँ समस्याओं से मुक्त होकर निरन्तर प्रगति कर सकें और प्रदेष के औद्योगिक विकास में अधिक सहायक बन सकें। पूर्व अध्यक्ष एवं मीडिया प्रकोष्ठ के चेयरमैन मनीष अग्रवाल ने बताया कि चैम्बर इस नीति का पूरी तरह विरोध करता है और संचालित छोटी इकाइयों के हित सम्वर्धन में नीति तैयार करने की मांग करेंगे। चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष योगेन्द्र कुमार सिंघल ने बताया कि औद्योगिक भूखंडों को भू-उपयोग में बिना किसी परिवर्तन के सभी उद्योगों के लिये फ्रीहोल्ड किया जाये तभी यह नीति उद्योगों के हित में होगी। एसोचैम के अध्यक्ष विष्नू भगवान अग्रवाल ने बताया कि राजकीय औद्योगिक क्षेत्रों में कंपनियों द्वारा अधिग्रहीत भूमि पर इकाइयाँ विभिन्न अवरोधों के साथ चल रही हैं। जिससे उनके विस्तारीकरण एवं परिवर्तन में परेषानियों आ रही हैं जबकि इस परिवर्तित हुए समय में वह सभी प्रकार की अनुबंध की षर्तों को पूरा करते हुए सभी प्रकार के करों का भुगतान कर रहा है। फ्रीहोल्ड होने के बाद राज्य सरकार को न केवल राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि सहायक इकाइयों का भी विकास होगा। चैम्बर के उपाध्यक्ष राजेष अग्रवाल ने बताया कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिये जिससे कि जो इकाइयाँ वर्तमान में कार्यरत हैं उन्हें लाभ प्राप्त हो उन्हें अधिक विकसित होने का अवसर प्राप्त हो। कोषाध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कहा कि हमारे पड़ोसी राज्यों में जो फ्रीहोल्ड किये जाने की नीति बनायी गयी है उसी तर्ज पर हमारी सरकार को नीति बनानी चाहिये जब ही इस नीति का लाभ प्रदेष उद्योगों पर परिलक्षित होगा। एक्मा के प्रतिनिधि एवं चैम्बर के पूर्व उपाध्यक्ष अनूप गोयल ने बताया कि चैम्बर ने यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेषक के साथ बैठक के दौरान यह अवगत कराया था कि औद्योगिक भूखंडों को फ्रीहोल्ड किये जाने के पीछे चैम्बर की मंषा सिर्फ इतनी है कि औद्योगिक इकाइयाँ स्वतंत्र रूप से अधिक से अधिक प्रगति कर सकें। अनुबंध की षर्तें अवरोध उत्पन्न न करें। भू-उपयोग में हम कोई परिवर्तन नहीं चाहते हैं।
सभी का मत था कि चैम्बर षीघ्र ही प्रदेष सरकार के साथ एक प्रतिवेदन के साथ भेंट करेगा ताकि फ्रीहोल्ड किये जाने के संबंध में विस्तृत नीति बनाने हेतु विभिन्न पहलूओं पर विस्तारपूर्वक व्यवहारिक तथ्यों के साथ अवगत कराया जा सके।